जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): पंजाब में आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए बातचीत के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। यह निर्णय चंडीगढ़ में इन किसान संगठनों की हुई बैठक में लिया गया। बैठक में रेल रोको आंदोलन, कॉर्पोरेट घरानों के व्यापारिक संस्थानों का घेराव और बहिष्कार जारी रखने का फैसला हुआ।
साथ ही एक रास्ता यह भी रखा गया है कि अगर केंद्र सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे मिलना चाहे तो उनके पास आकर बात कर सकता है। इसके साथ ही इन किसान संगठनों ने पंजाब सरकार को भी अल्टीमेटम दिया है कि अगर 15 अक्तूबर तक विधानसभा का सत्र बुला कर केंद्रीय कृषि अधिनियम रद्द न किए तो किसान कांग्रेस का भी बहिष्कार करेंगे।
आज आंदोलनरत 30 किसान संगठनों की आपातकालीन बैठक चंडीगढ़ में हुई, जिसमें अब तक के हालात का मंथन किया गया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता रुलदा सिंह मानसा, बोघ सिंह, एडवोकेट बलकरण सिंह बल्ली ने बताया कि केंद्रीय कृषि विभाग की तरफ से बातचीत के निमंत्रण को रद्द किया गया और इसे अनधिकृत करार दिया गया।
बैठक में हुए निर्णय अनुसार रेलवे ट्रैक्स पर तब तक मोर्चे जारी रहेंगे जब तक केंद्र सरकार इन कृ षि अधिनियमों को वापस नहीं लेती। कृषि बिलों को किसानी की हत्या वाला कदम बताया गया और कहा गया कि केंद्र सरकार किसानी को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है परन्तु किसान कृषि अधिनियम रद्द होने तक रेल रोको आंदोलन, भाजपा का बहिष्कार, टोल प्लाजों पर धरने, रिलायंस पैट्रोल पम्पों, शॉपिंग मॉल, अडानी शैल गोदाम इत्यादि के घेराव को जारी रखेंगे।
भाकियू लक्खोवाल संघर्ष कमेटी से निलंबित
30 किसान जथेबंदियों ने आज भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल को संघर्ष कमेटी से निलंबित करने का निर्णय लिया है। ऐसा लक्खोवाल गुट द्वारा बिना अन्य संघर्ष कमेटी से विचार किए कृषि अधिनियमों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने के विरुद्ध किया गया है। बैठक में इस बात पर नाराजगी थी कि लक्खोवाल गुट ने किसानों के केस को कमजोर करने का प्रयास किया है। जब तक लक्खोवाल गुट सुप्रीम कोर्ट में डाली रिट वापस नहीं लेते, तब तक वह किसान संघर्ष कमेटी से निलंबित रहेंगे।