जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : Faculty Orientation Programme : डीएवी यूनिवर्सिटी जालंधर ने तीन दिवसीय ट्रांसफोरमेटिव फैकल्टी ओरिएंटेशन प्रोग्राम (एफओपी) की मेजबानी की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 21वीं सदी की शिक्षा की मांगों को पूरा करने के लिए आधुनिक तकनीक और नयी शिक्षा प्रणाली को एकीकृत करना था। ह्यूमैनिटीज़, कॉमर्स बिजनेस मैनेजमेंट एवं इकोनॉमिक्स तथा साइकोलॉजी विभागों की फेकल्टी को समर्पित एफओपी का उद्घाटन वाइस चांसलर डॉ. मनोज कुमार ने किया।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रो मनोज कुमार ने तकनीकी युग में शिक्षण प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए शिक्षकों द्वारा नए कौशल हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों के भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। रजिस्ट्रार डॉ. एस के अरोड़ा ने शिक्षकों को समकालीन मांगों के अनुरूप छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए सच्चे रोल मॉडल के रूप में वर्णित किया।
Faculty Orientation Programme : डीन, ह्यूमैनिटीज़, कॉमर्स बिजनेस मैनेजमेंट एवं इकोनॉमिक्स, डॉ. गीतिका नागरथ ने स्टूडेंट एंगेजमेंट एंड आउटकम बेस्ड एजुकेशन पर चर्चा की। उन्होने फेकलटी को अपनी टीचिंग स्किल्स को यूनिवर्सिटी के विजन और मिशन के अनुरूप ढालने को कहा। उन्होंने कार्यक्रम और पाठ्यक्रम के परिणामों के आधार पर शैक्षिक गतिविधियों की योजना बनाने और छात्रों की लर्निंग को बेहतर बनाने के लिए गतिविधियां डिजाइन करने के महत्व को रेखांकित किया।
क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ अतुल मदान ने “21वीं सदी में शिक्षण: सक्रिय शिक्षण के लिए छात्रों को जोड़ना और सशक्त बनाना” विषय पर एक बात की। उन्होंने मिश्रित शिक्षण, फ़्लिप्ड लर्निंग और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपकरणों के उपयोग को कवर किया। गुरु नानक देव युनिवर्सिटी की डॉ. नम्रता जोशी ने गेमिफ़िकेशन, प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण और सहकर्मी शिक्षण जैसे आधुनिक शिक्षण दृष्टिकोणों पर विस्तार से बताया। गुरु नानक देव युनिवर्सिटी के डॉ. अमित कौट्स ने शोध-आधारित शिक्षा, समस्या-समाधान और छात्र प्रतिक्रिया के माध्यम से शिक्षण प्रभावशीलता को बढ़ाने पर चर्चा की।
Faculty Orientation Programme : अंतिम दिन डॉ. मोनिका दीवान ने विविध मानसिकता वाले छात्रों को पढ़ाने की चुनौतियों और 21वीं सदी के शिक्षार्थियों की विशेषताओं पर चर्चा की। एनआईटी जालंधर के डॉ. जगविंदर सिंह ने स्वोट विश्लेषण, समावेशी शिक्षण दृष्टिकोण और केस स्टडी, खुले संवाद और आलोचनात्मक सोच के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया।
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