जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : कोरोना और लॉकडाऊन ने कांग्रेसियों के लिए राजनीति के अवसर तो कम कर दिए लेकिन करप्शन के मौके अभी भी बहुत हैं। जब आप घर से भी निकलने को प्रतिबंधित होते हैं तब आपके इलाके में करोड़ों के टैंडर डालकर पास भी करवा लिए जाते हैं। जिन दुकानों के आगे कोरोना ग्राहक के रूप में खड़ा है उन्हीं दुकानों के आगे सड़कें ऐसे खोद दी गई हैं मानों विकास की इबारत लिखी जा रही है। विकास की इबारत में सीमेंट, बजरी, लुक आदि के साथ-साथ करप्शन की मात्रा भी काफी है। अगर यकीन न हो तो सूर्या एंक्लेव वाली सड़क देख लीजिए।
सूत्रों की मानें तो इस सड़क के लिए करीब सवा करोड़ का टेंडर पारित करवाया गया। ठेकेदार भी वो जिसकी तूती ज्यादा बोलती है काम कम। चलिए तूती ने ठेका दिलाया तो शिकायतों ने तूती की पोल खोल दी। हमारे एक सूत्र ने बताया कि इस टेंडर के लिए मोटी फीस सरकारी खाते की बजाय प्राइवेट जेब में गई है। हालांकि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया ने एक मीडिया हाउस के साथ बातचीत में कहा कि इस संबंध में इंजीनियरिंग विंग से पूछताछ की जाएगी। किसी भी काम में भ्रष्टाचार बिल्कुल सहन नहीं किया जाएगा।
ऐसे समझें पूरे खेल को
16 साल बाद इस सड़क की सुध ली गई। जब ठेका अलॉट हुआ तो ठेकेदारों और ट्र्स्ट की इंजीनियरिंग विंग के खिलाडिय़ों का खेल शुरू हुआ। सूत्रों के मुताबिक एक खास ठेकेदार को ठेका दिलाने के लिए जोड़तोड़ शुरू हुआ। ये जोड़तोड़ सड़क की लंबाई, मैटीरियल व अपने अपने हिस्से का था। इन हिस्सों में जनता को भुला दिया गया। सूत्रों के मुताबिक जब सड़क बनी तो ट्रस्ट के इंजीनियरिंग विंग वालों ने शायद इसका सैंपल तक नहीं लिया जोकि बहुत बड़ी गलती है।
इस बारे में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के इंजीनियरिंग विंग के मुखिया सतिंदर सिंह से बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया अगर वे संपर्क करना चाहें तो हमारे नंबर 9417313252 पर संपर्क कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक इस सड़क का ठेका कम पैसे में भी अलॉट हो सकता था लेकिन हिस्सों की संख्या बढऩे के कारण सरकार को चूना लगना भी जरूरी हो गया।
लोगों का फूटा गुस्सा
सूर्य एंक्लेव के कई लोगों का कहना है कि ये सड़क 60 दिन भी नहीं चली। कई जगहों से सड़क उखड़ गई। सड़क बनाने के लिए जिन मानकों को पालन जरूरी थी उनका पालन नहीं किया गया। लोगों का कहना है कि 16 साल बाद हमारी सुध ली वो भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। लोगों का कहना है कि सड़क कछुए की पीठ की तरह सड़क बननी चाहिए लेकिन नहीं बनी है ऊंची-नीची सड़क है। इसके चलते बारिश में पानी भरेगा क्योंकी नाली भी ठीक नहीं बनाई गयी है।
इन बातों का रखा जाना चाहिए ध्यान
- सड़क बनाने से पहले मलबा व धूल भी साफ नहीं की गई।
- साफ करने के बाद प्राईमर कोट डाला जाए।
- तारकोल व बड़ी गिट्टी डाली की लेयर डाली जाए।
- यह दो से तीन इंच होनी चाहिए थी या ट्रैफिक के हिसाब से डाली जानी चाहिए।
- अंतिम लेयर तारकोल व बजरी मिलाकर डाली जाए यह कम से कम एक इंच होती है।
- सड़क का डिजाइन कछुए की पीठ की तरह होनी चाहिए।
- फुटपाथ को सड़क व नाली से ऊंचा बनाया जाए।