जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : ED Raids on Business Man : जालंधर में बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले में एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने फगवाड़ा के बिजनेसमैन सुरेश सेठ को गिरफ्तार किया है। इससे पहले ED ने मामले में सुरेश के बड़े भाई विक्रम सेठ, जिनके ईंटों के भट्ठे हैं, को गिरफ्तार किया था। वह अभी तक ED जेल में हैं और उन्हें 7 मार्च तो दोबारा फिर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया जाएगा। विक्रम सेठ की अगली पेशी से पहले ही ED ने उनके छोटे भाई को भी गिरफ्तार कर लिया है। सेठ और उसके परिवार के सदस्यों व सहयोगियों ने अन्य आरोपियों की मिलीभगत से कथित तौर पर बैंक ऑफ बड़ौदा, फगवाड़ा से 19 ऋण स्वीकृत करवाए थे। लोन लेने से पहले फर्जी कंपनियां और फर्में बनाई गईं थीं। इसके बाद पूरा जाल बिछाकर बैंक से धोखाधड़ी की गई।
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इसमें कुछ बैंक अधिकारी और कर्मचारी भी संलिप्त थे। सभी ने मिलीभगत करके 21.31 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की और फर्जी फर्मों के खाते खोल कर कर उनमें लोन का पैसा डलवाया था, जबकि हकीकत में जमीन पर कोई फर्म थी ही नहीं। ED के मुताबिक, सेठ ने सारा पैसा फगवाड़ा व आसपास के क्षेत्रों में 20 आवासीय प्लॉट, 6 औद्योगिक प्लॉट, एक घर, 3 जगह एग्रीकल्चर भूमि, 2 ईंट भट्टों और 18,17,03,627 रुपए मूल्य के 10 कमर्शियल प्लॉट पर लगा दिया। 42 अचल संपत्तियां बंगा (नवांशहर) और हिमाचल प्रदेश के अम्ब (ऊना) में खरीदी थीं। इसके अलावा, 32,97,000 रुपए की 7 चल संपत्तियां टाटा सफारी, होंडा जैज, स्कोडा ऑक्टेविया गाड़ियां भी धोखाधड़ी के पैसे से खरीदी गईं। ED ने पिछले साल 42 अचल संपत्तियां और 18,50,00,627 रुपए की 7 चल संपत्तियां कुर्क की हैं। ईडी का कहना है कि सेठ और उनके परिवार के सदस्यों ने यह सब बैंक ऑफ बड़ौदा, फगवाड़ा से लोन लेकर खरीदी थीं।
ED Raids on Business Man – सीबीआई और एसीबी भी कर चुकी मामला दर्ज
विक्रम सेठ और 13 अन्य के खिलाफ 2017 में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामला दर्ज किया था। इसके बाद सीबीआई, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), चंडीगढ़ ने 15 जनवरी, 2015 को 420, 467, 468, 471,120बी, आईपीसी और धारा 13(1)(डी) आर/डब्ल्यू 13(2) के तहत षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करना, धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करना, सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के तहत मामला दर्ज किया था। ED ने अपनी जांच में पाया कि विक्रम सेठ ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम चल और अचल संपत्तियों में पैसा लगाया था, जिसके स्रोत जांच के दौरान वैध नहीं पाए गए थे। ऋण खातों से पैसा डायवर्ट किया गया और अचल-चल संपत्ति में निवेश किया गया।
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