वाशिंगटन (वीकैंड रिपोर्ट): ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस (Corona virus) के नए variants से दुनिया भर में हड़कंप मचा है, लेकिन शोधकर्ताओं की मानें तो इनसे घबराने की जरूरत नहीं है। शोध में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि वैक्सीन (virus) के बाद में जो एंटीबॉडीज शरीर में बनती हैं, वायरस (virus) के नए वेरिएंट उन पर कुछ हद तक ही असर डाल पाते हैं। शोध में पता चला है कि वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज नए variants पर अलग-अलग तरह से हमला करके उसे लगभग बेअसर बना देती हैं।
रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के डॉ मिशेल नुसेंजवेग के नेतृत्व में एक टीम ने उन 20 लोगों के प्लाज्मा का परीक्षण किया, जिन्हें क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन की दो खुराकें दी गईं। उन्होंने पाया कि टीके मजबूत एंटीबॉडीज का निर्माण करते हैं। टीके से ऐसी कोशिकाएं भी बनती हैं जो महीनों या सालों तक नए एंटीबॉडीज का उत्पादन करती रहती हैं।
नुसेंजवेग का कहना है कि एंटीबॉडीज पर नए variants के असर को देखने के लिए गहन अध्ययन किया गया। उनसे सवाल किया गया कि जब आप एंटीबॉडीज के इन सभी मिश्रणों को एक साथ रखते हैं, तो क्या इसका मतलब है कि वे वेरिएंट से मुकाबला कर सकते हैं। नुसेंज़विग ने कहा कि उनका प्रभाव कम था, लेकिन कुल मिलाकर प्रतिक्रिया इतनी अधिक थी कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है कि वैक्सीन बनाने का उद्देश्य लोगों को अस्पताल से बाहर रखना था। इस काम को वेक्सीन बखूबी पूरा कर रही हैं। हालांकि उनका कहना है कि इन्हें अपडेट किया जाना जरूरी है।
कोराना वायरस (Corona virus) में अन्य दूसरे वायरस की तरह समय के साथ बदलाव होते रहते हैं। इंफ्लूएंजा के वायरस की तुलना में यह बदलाव धीमा होता है। ये बदलाव संक्रमित व्यक्ति की बीमारी को और ज्यादा नहीं बढ़ाता, लेकिन ब्रिटेन में मिले नए variant बी.1.1.7 और दक्षिण अफ्रीका में मिले बी.1.351 का अध्ययन करने पर पता चलता है कि इनका संक्रमण पहले के वायरस की अपेक्षा ज्यादा तेजी से फैलता है। फिलहाल वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं कि नए variants पर बाजार में उपलब्ध वैक्सीन व दवाएं किस हद तक कारगर हो सकती हैं।
नुसेंजवेग का कहना है कि कोराना वायरस के ताकतवर होने का सबसे बड़ा कारण लोगों के शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना है। इसी वजह से वैज्ञानिक जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में जो प्रतिरक्षा शक्ति पैदा होती है वो उस तादाद से काफी ज्यादा है जो वायरस से लड़ने के लिए जरूरी होती है।
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