सिडनी (वीकैंड रिपोर्ट): इंटरनेट पर अवैध तरीके से कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून की बिक्री की जा रही है। कोरोना के इलाज और वैक्सीन के नाम पर मरीजों के खून को डार्कनेट पर बेचा जा रहा है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवसिज़्टी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। डार्कनेट पर मौजूद सेलर अलग-अलग देशों से शिपिंग करके विदेशों में डिलीवरी करा रहे हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिंदगी भर के लिए कोरोना से इम्यून बनाने के दावे के साथ कोरोना मरीजों के ब्लड को लाखों रुपये में बेचा जा रहा है।
एक लीटर ब्लड का दाम 10 लाख रुपये तक रखा गया है।
हालांकि, ब्लड के साथ अवैध रूप से पीपीई, मास्क, टेस्ट किट सहित अन्य सामान भी ऊंचे दाम पर बेचे जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 12 अलग-अलग डार्कनेट मार्केट पर ये सामान बेचे जा रहे हैं। डार्कनेट पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि दुनियाभर में कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के जरिए पीपीई और अन्य सामान हासिल किए गए हैं। बेचने वाले इन सामानों को अलग-अलग देशों में डिलीवरी कराने को भी तैयार हैं।
ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट अमेरिका से जबकि कुछ प्रोडक्ट यूरोप, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से शिपिंग के लिए मौजूद थे।
कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा के जरिए अन्य मरीजों के इलाज से जुड़ी कुछ रिपोर्टें सामने आई हैं। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के खतरे भी हैं और इससे लोगों की जान भी जा सकती है। फिलहाल डॉक्टर प्रयोग के तौर पर कुछ खास परिस्थिति में ही इस थेरेपी को आजमा रहे हैं। प्रमुख रिसर्चर रोड ब्रॉडहस्र्ट ने कहा है कि महामारी के वक्त कुछ लोग आपराधिक तरीके से कमाई की कोशिश कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में ये बढ़ सकता है। इसलिए कड़ी मॉनिटरिंग की जरूरत है ताकि इसे बंद किया जा सके। रोड ब्रॉडहस्र्ट ने कहा- हमने पाया कि असुरक्षित वैक्सीन और एंटीवायरल दवाइयां भी डार्कनेट पर लोगों को बेची जा रही हैं। भारी मात्रा में पीपीई की भी बिक्री हो रही है क्योंकि बाजार में इसकी कमी बनी हुई है। वहीं, ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर रिक ब्राउन ने कहा कि इन चीजों की बिक्री से लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है।
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