ऊना (वीकेंड रिपोर्ट) : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार की योजनाएं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ अच्छी कमाई का जरिया बन रही हैं। सरकार की मदद व अपनी मेहनत से किसान इन योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं तथा अपने परिवार का बेहतर ढंग से भरण-पोषण कर रहे हैं। जिला ऊना के बंगाणा उपमंडल के तहत पड्योला निवासी नरेश कुमार प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का लाभ लेकर आज लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।
वर्ष 2019 में नरेश कुमार ने मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का लाभ उठाकर मधुमक्खी पालन का कार्य आंरभ किया था। शुरूआत में वह 50 बॉक्स के साथ मधुमक्खी पालन से जुड़े तथा आज उनके पास 180 बॉक्स हैं। नरेश कुमार कहते हैं “मधुमक्खी पालन का कार्य करने के लिए उन्हें प्रदेश सरकार से एक लाख अस्सी हजार रूपए उपदान के रूप में भी मिले तथा उन्होंने सिर्फ 50 हजार रुपए का निवेश करना पड़ा।
सरकार की योजना का लाभ उठाकार पिछले छह माह में ही उन्होंने 3.5 टन शहद का उत्पादन किया है। शहद को बेचने के लिए भी उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है, क्योंकि डेरा बस्सी की एक कंपनी के साथ उन्होंने अनुबंध किया है, जो 120-130 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर उनसे शहद की खरीद करती है।” मधुमक्खी पालन से अधिक कमाई के लिए वर्ष भर वह उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों का रुख करते हैं। मधुमक्खी पालन कार्य में शहद की अधिक उपज लेने के लिए दूसरे राज्यों में मधुमखियों के बक्से ले जाने हेतू बागवानी विभाग की ओर से प्रति मधुमक्खी पालक को दस हजार रूपए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी के रूप में भी अनुदान दिया जाता है।
मधु विकास योजना का प्रारूप
राज्य में मधु उत्पादन और मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री मधु विकास योजना शुरू की थी। योजना के तहत अधिकतम 50 मौन वंश रखने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम 1,60,000 रुपए का अनुदान बागवानी विभाग की ओर से प्रदान किया जाता है। स्वरोजगार के इच्छुक बागवानों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य है। किसानों को शहद निकालने वाली मशीन, खाद्य ग्रेड कंटेनर तथा मधुमक्खी पालन से संबंधित अन्य उपकरणों की खरीद पर भी 80 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाती है।
जिला में 35 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन
बागवानी विभाग जिला ऊना के उप-निदेशक डॉ. के के भारद्वाज ने बताया कि जिला में प्रति वर्ष 35 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है और लगभग 35 परिवार इस व्यवसाय से जुडक़र आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग मौन पालकों की हर प्रकार से सहायता करता है। उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करता है और मधुमक्खी पालन में आने वाली हर समस्या से निपटने में सहायता देता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी किसान को मौन पालन में किसी प्रकार की समस्या पेश आए तो वह बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ संपर्क कर सकते हैं। विभाग के अधिकारी तत्परता के साथ उनकी सहायता करेंगे।
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