जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): सीटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स द्वारा सीटी वल्र्ड स्कूल में ओपन माइक सी•ान 2 कार्यक्रम का आयोजन करवाया। आमतौर पर ओपन माइक में लोग अपनी कला जैसे पेटिंग, गाना, कॉमेडी या फिर कविताएं सुनाते हैं। मगर इस कार्यक्रम में पंजाब की महिला ए बुलेंस ड्राइवर, मोटिवेशनल स्पीकर, सोशल एक्टविस्ट, इंडियन हॉकी प्लेयर ने जिंदगी के संघर्षभरे दिनों के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान सीटी ग्रुप की को- चेयपपर्सन परमिंदर कौर चन्नी, हैप्पीनेस एंड वैल बीइंग विभाग की हैड अमृत क्लसी, सीटी वल्र्ड स्कूल की प्रिंसिपल मधू शर्मा, कल्चरल ऑफिसर दविंद्र सिंह और सीटी वल्र्ड स्कूल का स्टाफ मौजूद था।
ओपन माइक कार्यक्रम में दस्तक एनजीओ के फाउंडर संदीप चाहल, इंटरनेशल फैशन कंस्लटेंट शैलजा, पंजाब की महिला ए बुलेंस ड्राइवर मनजीत कौर, राइजिंग स्टार डिसेबल यूथ क्लब के फाउंडर हरिंदर पाल सिंह, इंडियन हॉकी प्लेयर हरजीत सिंह ने अपने जीवन के हर पहलुओं के बारे में बताया। स्टेज का कार्यभार विक्रांत रेहानी ने किया। इसके साथ ही रितिक गिल ने लाइव प्रोर्फोमेंस से मंत्रमुगध किया।
कार्यक्रम की शुरूआत इंटरनेशल फैशन कंस्लटेंट शैलजा ने अपनी जीवन की कहानी के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन में कठिनाईयां चाहें जितनी मर्जी हो मगर महिलाओं को कभी हार नहीं माननी चाहिए। एक सिर्फ वहीं है जो अपने जीवन को पूरी तरह से बदल सकते हैं। वरना लोगों की बातें तो आपके आत्मविश्वास को तोडऩे के लिए काफी है।
राइजिंग स्टार डिसेबल यूथ क्लब के फाउंडर और 400 टीमों को भागड़ा सिखाने वाले हरिंदर पाल सिंह ने अपने जीवन की कहानी सुनाते हुए कहा कि एक बार वह किसी और व्यक्ति की जगह पर भागड़ा डालने के लिए गए। मगर इवेंट के ठीक पहले वह व्यक्ति आ गया। मैंने उसे बोला कि तुम तो रो•ा भागड़ा डालते हो मुझे पहली बार मौका मिला है तो उसने मुझे बोला की भागड़ा डालना तु हारे जैसे लोगों को काम नहीं है। तब मैंने उसे बोला कि मैं भागड़ा डालुंगा ही नहीं बल्कि सीखाऊगा भी। आज मेरे टीमें नैशनल और इंटरनैशनल लैवल पर भागड़ा डालता और सिखाता भी हूं।
2016 में इंडियन हॉकी वल्र्ड कप जीतने वाली टीम के कप्तान हरजीत सिंह ने कहा कि उनका बचपन बेहद गरीबी से गुजरा। उन्होंने हॉकी 2005 में खेलनी शुरू की और वो भी इसलिए क्योंकि उसके उन्हें कुछ कपड़े पहनने के लिए मिलेंगे। यहीं कठिनाईयों उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती रहीं ना कि पीछे धक्केलने के लिए। जीवन में मुशकलें तो आती रहेगी मगर चलते रहने का नाम ही जीवन है।
दस्तक एनजीओ के फाउंडर संदीप चाहल जिन्होंने बेजुबान चिडिय़ों की आवाज को सुनकर और उनके दर्द को महसूस करके उनको जीवत रखने के लिए हर संभव प्रयास किया। उनकी इसी कोशिश को ना सिर्फ पंजाब के सीएम बल्कि हिमाचल के मु य मंत्री ने भी स मानित किया।
पंजाब की महिला ए बुलेंस ड्राइवर मंजीत कौर ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए भावुक होते हुए कहा कि जीवन है तो मुश्किलें हैं जिंदा है तो लडऩा तो जरूरी है। मेरे जीवन में मुझे ना पति का साथ मिला ना भाईयों का। एक मां थी जिसने हर घड़ी मेरा साथ दिया। मेरे पति ने महज 200 रू के लिए बेच दिया तब मैंने ठान लिया की जिंदगी अपने भरोसे जीनी है। बस धीरे-धीरे वक्त के साथ मैं आगे बढ़ती रहीं और धीरे-धीरे मेरा आत्मविश्वास बढऩे लगा। फिर जिंदगी जीने के लिए मैं ए बुलेंस चलाने लगी। मुझे जीवन में कभी ना मेरे भाईयों का साथ मिला ना पति का। बस मैं यही कहना चाहूंगी की लड़कियों को शादी के बाद भी मायके का साथ और प्यार मिलना बेहद जरूरी है।
सीटी ग्रुप की को- चेयपपर्सन परमिंदर कौर चन्नी ने कहा कि जिंदगी में आई कठिनाइयां ही इंसान के अंदर छिपी हुई ताकत का अहसास करवाती है। जो इंसान जीवन में आने वाली मुसीबतों का हल ढूंढने की तरफ ध्यान देता है वही सफलता पाता है। जैसे ओपन माइक में उपस्थित सभी वक्ताओं ने अपनी लाइफ में किया। अगर वह चाहते तो थोड़ी सी परेशानी आने पर अपने हक के लिए लडऩा छोड़ देते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अपने हौसले और मजबूत इरादों की वजह से आज वह दूसरे लोगों को जीवन में आगे बढऩे का संदेश दे रहे हैं।
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