नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): दुनियाभर में कोरोनावायरस के खिलाफ एक कारगर वैक्सीन की आस जगा चुकी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन के ट्रायल अस्थायी रूप से रोक दिए गए हैं। बताया गया है कि वैक्सीन लेने वाले एक वॉलंटियर में किसी अस्पष्ट बीमारी के लक्षण पैदा होने लगे थे। ऐसें में ट्रायल्स को रोक दिया गया। हालांकि, भारत में वैक्सीन की टेस्टिंग में जुटे सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि इससे टेस्टिंग की टाइमलाइन (अवधि) पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
हालांकि, इस बीच ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सेरम इंस्टीट्यूट को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर क्यों वह एस्ट्रा जेनेका के ट्रायल रोकने के फैसले के बारे में रेगुलेटर को नहीं बता पाया। इस पर SII ने बयान जारी कर कहा है कि वह ड्रग कंट्रोलर के नियमों को मानते हुए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत चलेगा। बता दें कि सेरम इंस्टीट्यूट भारत में वैक्सीन के दूसरे और तीसरे स्टेज के ट्रायल्स कर रहा है। यहां इस वैक्सीन को कोविशील्ड नाम दिया गया है। पहली बार 26 अगस्त को वॉलंटियर्स के एक दल को इस वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी।
एस्ट्रा जेनेका ने क्यों रोका ट्रायल?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ वैक्सीन उत्पादन में जुटी कंपनी एस्ट्रा जेनेका ने यह नहीं बताया है कि ट्रायल को क्यों रोका गया। हालांकि, रिपोर्ट्स में सामने आया है कि इंग्लैंड में एक वॉलंटियर में वैक्सीन लेने के बाद कुछ गंभीर बीमारी पैदा हो घई थी। अभी यह साफ नहीं है कि यह गंभीर बीमारी क्या थी, या यह वैक्सीन की वजह से हुई या किसी और वजह से। हालांकि, कंपनी इस दौरान बीमारी की वजह तलाशने के लिए वैक्सीन की समीक्षा करेगी।
ट्रायल्स रुकने का क्या होगा असर?
कंपनी की ओर से वैक्सीन के ट्रायल पर अस्थायी रोक लगाई गई है, ताकि मरीज की बीमारी की वजह का पता लगाया जा सके। अभी यह भी साफ नहीं है कि वैक्सीन के ट्रायल दोबारा कब शुरू किए जाएंगे। हालांकि, वैक्सीन के सुरक्षित होने पर अभी तक कोई सवाल नहीं हैं, क्योंकि ट्रायल्स के दौरान ऐसी घटनाएं होती रही हैं। वैक्सीन का ट्रायल कुछ समय के लिए रुकने से सिर्फ इसके उत्पादन के समय में देरी आएगी।
बता दें कि दुनियाभर की कई कंपनियां वैक्सीन बनाने और अगले साल की शुरुआत तक लॉन्च करने की जल्दी में कुछ रेगुलेटरी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर रही हैं। इस पर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने खासी चिंता जताई है। आमतौर पर एक वैक्सीन को सुरक्षा मानकों से गुजरने के बाद मार्केट तक आने में सालों का वक्त लग जाता है। लेकिन कोरोना वैक्सीन इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत तक लॉन्च हो सकती है। ऐसे में एक वैक्सीन के लिए दिखाई जा रही तेजी से इसके सुरक्षा मानकों के परीक्षण पर सवाल उठ रहे हैं।
भारत में इसका क्या असर होगा?
एस्ट्रा जेनेका ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि किन जगहों पर वैक्सीन के ट्रायल रुकेंगे। हालांकि, भारत में वैक्सीन के ट्रायल पहले ही अस्थायी रूप से रुके हैं। दरअसल, अगस्त में 100 लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी। अब वॉलंटियर्स पर वैक्सीन के असर को परखा जाएगा और इसकी जानकारी डेटा सेफ्टी एंड मॉनिटरिंग बॉडी को समीक्षा के लिए दी जाएगी। एक्सपर्ट्स की तरफ से सुरक्षा मानकों को परखने के बाद ही मंजूरी मिल सकेगी और इसके बाद वैक्सीन अन्य वॉलंटियर्स को यह वैक्सीन दी जाएगी।