बेंगलुरु (वीकैंड रिपोर्ट): इस्लामिक बैंक के नाम पर करीब 30 हजार मुस्लिमों को चूना लगाने वाला मोहम्मद मंसूर खान करीब 1500 करोड़ की धोखाधड़ी कर दुबई भाग गया है। लोगों को बड़े रिटर्न का वादा कर उसने एक पोंजी स्कीम चलाई और इस स्कीम का हश्र वही हुआ, जैसा बाकी पोंजी स्कीमों का होता आया है। मैनेजमेंट ग्रैजुएट मंसूर खान ने 2006 में आई मॉनेटरी अडवाइजरी के नाम से एक बिजनस की शुरुआत की थी और इनवेस्टर्स को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी। चूंकि इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को अनैतिक और इस्लाम विरोधी माना जाता है। इस धारणा को तोडऩे के लिए मंसूर ने धर्म का कार्ड खेला और निवेशकों को बिजनस पार्टनर का दर्जा दिया और भरोसा दिलाया कि 50 हजार के निवेश पर उन्हें तिमाही, छमाही या सालाना अवधि के अंतर्गत रिटर्न दिया जाएगा। इस तरह वह मुसलमानों के बीच ब्याज हराम है वाली धारणा तोडऩे में कामयाब रहा। अपनी स्कीम को आम मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए उसने स्थानीय मौलवियों और मुस्लिम नेताओं को साथ लिया। सावज़्जनिक तौर पर वह और उसके कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते, लंबी दाढ़ी रखते और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते। वह नियमित तौर पर मदरसों और मस्जिदों में दान दिया करता था। निवेश करने वाले हर मुस्लिम शख्स को कुरान भेंट की जाती। शुरुआत में निवेश के बदले रिटर्न आते और बड़े चेक निवेशकों को दिए जाते, जिससे उसकी योजना का और ज्यादा प्रचार हुआ। मंसूर खान ने पहले तो कहा कि ईद के चलते ऑफिस बंद था, मगर जब लगातार विदड्रॉल रिक्वेस्ट आने लगीं तो वह अंडरग्राउंड हो गया। कर्नाटक पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है और इस मामले की जांच चल रही है।]]>
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