जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : पंजाब सरकार ने बिजली सस्ती करके लोगों को बड़ी राहत दी है लेकिन इस फैसले ने उन सवालों को जन्म दे दिया है जोकि चार साल से बिजली के सस्ती होने का इंतजार कर रहे थे। सियासी हलकों में इस बात की पूरी चर्चा है कि साढ़े 4 साल में बिजली क्यों नहीं सस्ती की गई अब कैप्टन सरकार को लोगों की कैसे याद आ गई। सबसे बड़ी बात बिजली सस्ती का फैसला 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा यानि 1 अप्रैल 2022 से बिजली फिर महंगी हो सकती है।
अब कुल मिलाकर यह फैसला राजनीति से प्रेरित अधिक और जनहित कम लग रहा है। वैसे भी पंजाब में महंगी बिजली का मुद्दा आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने उठाया हुआ है। हाल ही में आप ने अलग-अलग स्थानों पर बिजली के बिलों को जलाते हुए प्रदर्शन किए थे। आप का कहना है कि इन्हीं प्रदर्शनों से घबराई कैप्टन सरकार ने बिजली सस्ती कर दी है।
दरअसल श्री गुरु ग्रंथ साहिब (Sri Guru Granth Sahib) की बेअदबी के मुद्दे को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Captain Amarinder Singh) के खिलाफ कांग्रेस में एक अलग धड़ा बनने लगा है। परेशानी का सबब यह है कि इस धड़े में कैप्टन के कई करीबी विधायक और मंत्री (MLA and Minister) भी जा रहे हैं। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि अलग धड़े की बैठकों में कैप्टन के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) भी शामिल हो रहे हैं।
ये बातें विधायकों को कर रही हैं निराश
मुख्यमंत्री ने विधायकों को मन को तलाशने की जो बैठकें की थीं उससे यह आस बनने लगी थी कि आने वाले दिनों में कुछ न कुछ होकर रहेगा। नई एसआइटी बनाने की फाइल मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग ने एक सप्ताह पहले भेज दी थी। ये सब बातें विधायकों को निराश कर रही हैं। इसी को लेकर दो बैठकें हुईं, जिनमें से एक पंचकूला में हुई बताई जाती है। ऐसे ही मुद्दों से बैकफुट पर आ चुके कैप्टन लोगों का दिल जीतने की कोशिश में हैं। बिजली सस्ती करना भी उनमें से एक कदम है।
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