चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट): पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र (Captain Amarinder Singh) ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर अकालियों और आम आदमी पार्टी को आड़े हाथ लिया। यही नहीं, केंद्र सरकार (central government) द्वारा कानूनों को रद्द करने से इंकार को उन्होंने ‘अमानवीय’ करार दिया। उन्होंने राज्य के हर उस किसान के एक पारिवारिक सदस्य के लिए नौकरी का ऐलान किया, जो कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष दौरान मारा गया। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसूची-7 के तहत राज्यों का विषय है इसलिए केंद्र की तरफ से प्रांतीय मामले में दखल क्यों दिया गया है? उन्होंने कहा कि केंद्र ने बिना किसी को पूछे कानूनों को अमली जामा पहना दिया जिस कारण सबको इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक तकरीबन 76 किसानों की मौत हो चुकी है। मारे गए किसानों के परिवारों को 5 लाख तक का मुआवजा देने के अलावा परिवार में से एक मैंबर को नौकरी भी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र (Captain Amarinder Singh) ने कहा कि ‘पंजाबियां नूं तुसीं प्यार नाल मनाओगे ते मन्न लैणगे, तुसीं डांग चक्कोगे ते ओह वी डांग चुक्क लैणगे’ अर्थात पंजाबियों को प्यार से मनाया जा सकता है परन्तु अगर उनके खिलाफ लाठी का प्रयोग किया जाता है तो उसका जवाब वे लाठी से ही देते हैं। वह इस बात से सहमत थे कि केंद्र सरकार (central government) अहंकारी हो चुकी है तथा वह किसानों पर कृषि कानूनों के पडऩे वाले दुष्प्रभाव के बारे में सोच नहीं रही है। उन्होंने कहा कि लोग केंद्र सरकार (central government) से पूछें कि क्या देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज बची है? उन्होंने कहा कि यह मानवता के खिलाफ है तथा ऐसे हालात में लोकतंत्र अधिक लम्बे समय तक चल नहीं सकता। जब किसान कानून नहीं चाहते हैं तो उन्हें थोपा क्यों जा रहा है? मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 1966 से एम.एस.पी. का भुगतान किया जा रहा है। कांग्रेस ने सबसे पहले इसे लागू किया था। अब कृषि कानूनों को लागू करके केंद्र सरकार (central government) जहां पी.डी.एस. वितरण प्रणाली को खत्म करना चाहती है वहीं इसके साथ एम.एस.पी. भी खत्म हो जाएगी। किसानों को एन.आई.ए. द्वारा भेजे गए नोटिसों पर कैप्टन ने कहा कि वह केंद्रीय गृहमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखने जा रहे हैं।
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