
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) – श्राद्ध शुरू हो चुके हैं और श्राद्धों में पितरों को अवश्य नमन करना चाहिए। यह 15 दिन पितरों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। यह महीने इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है और व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है। कहा जाता है कि विधि विधान से पितरों के नाम से तर्पण आदि करने से वंश की वृद्धि होती है और पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, दुकान का मुहूर्त, नया कारोबार का आरंभ आदि नहीं करना चाहिए।
पितृदोष होने पर क्या लक्षण दिखते हैं
-घर में कभी भी सुख-शांति का न रहना। परिवार के लोगों के बीच वाद-विवाद होना। -संतान प्राप्ति में बाधाएं आना, संतान हो तो उसकी तबीयत बारबार खराब होना। -करियर के क्षेत्र में सफलता न मिल पाना। सपने में बार-बार पितरों का दिखना। घर में पीपल के पेड़ का उग आना। मेहनत का उचित फल न मिलना।
-इसके लिए पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष दूर होता है।
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