
Centre’s new bill (वीकैंड रिपोर्ट): आज बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम, सीएम को पद से हटाने से रिलेटेड तीन बिल को लोकसभा में पेश किया है तो चलिए समझते हैं कि मौजूदा कानून में उच्च पदों पर बैठे लोगों को हटाने की क्या प्रक्रिया है और नया नियम क्या बदलाव लाएगा।
Three bills: जानें ये तीन बिल
आपको बता दें कि बुधवार को सरकार ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक पेश किया है। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 75 और 164 में नए प्रावधान जोड़े जाने का प्रस्ताव है और इसके चलते ऐसे में अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होता है और ऐसे में 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन वह अपने आप ही पद से हटा दिया जाएगा।
जैसे ही गिरफ्तारी, वैसे ही लागू होगा नियम
पहले ऐसा होता था कि अगर किसी भी पार्टी के नेता पर कोई आरोप लगता है तो विपक्ष सबसे पहले इस्तीफे की मांग करता था, लेकिन अब इस बिल के बाद विपक्ष को इस्तिफा मांगने की जरूरत ही नहीं है। इस नियम के बाद कोई भी नेता अपराध करता है और पुलिस उसे गिरफ्तार करती है तो ये नियम तुरंत लागू हो जाएगा। आपको बता दें कि ये नियम कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और सरकार में पारदर्शिता व नैतिकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है।
What does the proposed law say?
प्रस्तावित कानून कहता है कि जिन मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगे हों जैसे कि पांच साल या उससे ज्यादा की सजा हो तो उनमें हटाए जाने का ये नियम लागू होगा। इसके तहत अगर कोई राज्य मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिनों तक हिरासत में है और उसे 30 दिनों तक बेल नहीं मिल पाती तो उन्हें तुरंत पद त्यागना होगा, लेकिन अगर वो 30 दिन बाद भी इस्तीफा नहीं देता तो 31वें दिन उसे पद से हटा हुआ माना जाएगा।
वापस मिलने की उम्मीद?
इसके अलावा कोई भी मंत्री बाद में निर्दोष साबित होता है तो उसे दोबारा नियुक्ति का मौका मिल सकता है। इस बिल का मेन मकसद ये है कि जनता को सुनिश्चित करना है कि गंभीर अपराधों के आरोपी व्यक्ति उच्च पदों पर न रहें और जनता का भरोसा बना रहे।
Why this is necessary: क्यों जरूरी है नया नियम?
बहुत बार ऐसा होता है कि गंभीर आरोपों के बाद भी नेता पद पर बने रहते हैं, जिससे जनता का विश्वास उठ जाता है। इसलिए ये नियम पक्का करेगा कि गंभीर आरोपों से लिप्त कोई भी नेता और व्यक्ति सरकार का चेहरा न बनें। इसका मकसद सिर्फ इतना है कि सरकार में ईमानदारी और विश्वसनीयता बनी रहे।
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