केंद्र ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रदर्शनकारियों की ‘गलत धारणा’ को दूर करने की जरूरत है. हलफनामे में कहा गया है कि कृषि सुधार कानून (New Agriculture Law 2020) जल्दबाजी में नहीं बने हैं, बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है. देश के किसान खुश हैं, क्योंकि हमने MSP पर खरीद, ज़मीन की सुरक्षा, सिविल कोर्ट जाने का अधिकार जैसी बात कहीं हैं. पर आंदोलनकारी कानून रद्द करने की ज़िद करते रहे.’
सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रवैये को लेकर कड़ी नाराजगी जताई. चीफ जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने सरकार से कहा- ‘कृषि कानूनों पर आपने रोक नहीं लगाई तो हम रोक लगा देंगे. इस मामले को आप सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाए. हमें कुछ एक्शन लेना पड़ेगा.’ उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का सुझाव भी दिया. लोढ़ा स्पॉट फिक्सिंग मामले में बनी कमेटी के अध्यक्ष भी थे.
45 पेज का है केंद्र का हलफनामा
45 पेज के हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा, ‘सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान यह संदेश गया कि सरकार ने जल्दबाजी में यह कानून पारित किया और सरकार ने पर्याप्त सलाह मशविरा नहीं किया. ये गलत है.’ अपने हलफनामे में कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों में यह गलत धारणा है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया का पालन करते हुए मुद्दों की जांच नहीं की है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है. किसी भी प्रयास में कमी नहीं की गई है.
कुछ स्वार्थी तत्वों ने फैलाईं गलतफहमी
कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से दिए गए हलफनामे में कहा गया, ‘हम उस गलत धारणा को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि संसद ने कानून पारित करने से पहले परामर्श प्रक्रिया को नहीं अपनाया था. ये धारणाएं प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद गैर किसान तत्वों ने फैलाई हैं. कुछ किसानों और उनके यूनियनों ने चंद निहित स्वार्थी लोगों द्वारा बनाई गई आशंकाओं, गलतफहमियों और गलत धारणाओं के आधार पर किसानों के अनुकूल नए बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन किया है, जो पंजाब से दिल्ली और उसके आसपास आ गए हैं.’
किसान संगठनों ने खारिज किया कमिटी बनाने का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कमिटी गठित करने के सुझाव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित किसी भी समिति के सामने पेश नहीं होंगे. किसानों ने इसके पीछे केंद्र सरकार की जिद और किसानों के प्रति लापरवाह रवैये को जिम्मेदार बताया है. संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की रुख की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया है.
26 जनवरी पर ट्रैक्टर मार्च के खिलाफ अर्जी दाखिल
वहीं, दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इस अर्जी में दिल्ली पुलिस ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे. कोर्ट मंगलवार को केंद्र की इस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है.
47 दिनों से चल रहा आंदोलन
बता दें कि किसान पिछले 47 दिनों से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बैठक हो चुकी है. अब 15 जनवरी को बैठक होगी.