नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का महत्व बहुत अधिक है। वहीं, पौष माह की पूर्णिमा को धार्मिक पहलू से बेहद खास माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बता दें कि मोक्ष प्राप्ति के लिए पूर्णिमा तिथि को व्रत किया जाता है। ज्योतिष के मुताबिक पौष माह भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन कई तीर्थस्थल जैसे कि काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो जाती है। इस साल पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) 28 जनवरी को पड़ रही है।
क्या है पौष पूर्णिमा का महत्व: पौष मास को भगवान सूर्य महीना कहा जाता है, इसलिए ये पूर्णिमा बेहद खास मानी जाती है। साथ ही, कोई भी पूर्णिमा की तिथि चंद्र देव की पसंदीदा होती हैं। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) के दिन सूर्य देवता की विधिवत अराधना करने से भक्त को देह त्यागने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन्हीं कारणों से श्रद्धालु इस दिन गंगा स्नान करते हैं और अंजलि से भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस पूर्णिमा के बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाती है।
क्या है पूजा की विधि: प्रातः काल में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। नहा-धोकर पूजा घर साफ करें, फिर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। मुमकिन हो तो इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान जरूर करें। संभव न हो तो घर में पानी की बाल्टी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहाएं। इसके बाद सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने के बाद विधिवत उनकी पूजा करें। उसके उपरांत भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं की पूजा करें।
जानें शुभ मुहूर्त:
पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) तिथि की शुरुआत – 28 जनवरी 2021, गुरुवार 01 बजकर 18 मिनट से
पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) की तिथि की समाप्ति – रात 12 बजकर 47 मिनट पर
पूर्णिमा के नियम: पुराणों में कहा गया है कि इस दिन लहसुन, प्याज़, मांस-मदिरा आदि तामसिक भोजनों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विधान है। वहीं, मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की अराधना करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।