
Indian Festivals (वीकैंड रिपोर्ट): भारत विवधताओं का देश है और यहां के रीति-रिवाज और सांस्कुतिक विवधता उसकी पहचान है। भारत में कई तरह के त्यैहार मनाए जाते हैं। जैसे कि, धार्मिक, एतिहासिक, मौसमी और या सामाजिक कारणों से भी। अब आजकल बहुत से लोग हैं जो त्यौहारों को बिना समझे ही मनाते हैं और कोई तो सोचते हैं कि इनका कोई तुक नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर त्यौहारों को मनाने के साथ-साथ उनके पीछ के रहस्यों और विज्ञान को समझा जाए तो ये बहुत गेहरे हैं और अचंभित कर देने वाले हैं। आज आपको इस लेख के माध्यम से त्यौहारों की महत्ता के बारे में बताया जाएगा।
भारत के त्यौहारों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक महत्ता
दीपावली- दीपावली तो भारतीयों का मनपसंद त्यौहार तो है साथ ही ये त्यौहार भारत से बाहर भी फेमस है। इसका इतिहास तो हर कोई भारत में जानता है, यहां तक की जो लोग हिंदू धर्म के नहीं हैं उन्हें भी दीपावली के इतिहास के बारे में जानकारी होगी। दीपावली का इतिहास इस तरह है कि त्रेता युग में श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापिस लौटे थे और उनके वापिस आने की खुशी में लोगों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था।

अब इस त्यौहार से जुड़ी संस्कृति ये है कि इस दिन दीप जलाए जाते हैं, पटाखे चलाते हैं, लक्ष्मी पूजन होता है और मिठाइयां बांटी जाती है। इसके पीछे वैज्ञानिक रहस्य ये है कि इस दिन तेल के दीये जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और इनकी रोशनी मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक मानी जाती है।
रक्षाबंधन- रक्षाबंधन भारत का बहुत प्यारा त्यौहार है। ये त्यौहार भाई-बहन के बीच प्यार का प्रतीक है। इसके पीछे तो बहुत सी कहानियां हैं, लेकिन ये एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन मां लक्ष्मी ने महाबली राजा की कलाई पर राखी बांधी थी और बदले में प्रभु विष्णु को मांगा था। इस दिन भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करता है। वहीं, अगर इस त्यौहार के पीछे वैज्ञानिक तर्क की बात की जाए तो धागा बांधने से नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इससे शरीर को उर्जी मिलती है।

होली- होली की ऐताहिसक कथा सभी को पता है। उनमें से एक है भक्त प्रह्लाद और होलिका की कहानी। कथा के अनुसार, राक्षस हिरण्यकश्यप पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकता था, लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त बने रहे। जब हिरण्यकश्यप को लगा कि उसका बेटा उसकी बात नहीं सुनेगा तो उसने अपनी बहन होलिका, जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, को प्रह्लाद को लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। इसके बाद बहन ने अपने भाई की आज्ञा का पालन किया और आग में बैठ गई, पर विष्णु कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। इसके बाद से लोग इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं और इसी खुशी में होली जलाई जाती है।

अब बात करते हैं वैज्ञानिक तरीके की, जिसमें बताया गया है कि वसंत के मौसम में जीवाणु संक्रमण बढ़ने की संभावना रहती है ऐसे में अगर हम प्राकृतिक रंगों और आग के संपर्क में आते हैं तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
दशहरा- जब भी अच्छाई पर बुराई की जीत के बारे में बात की जाती है तो लोगों के दिमाग में सबसे पहले दशहरा पर्व आता है। इसके पीछे की ऐताहिसक कहानी में दो कहानियां सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, भगवान श्रीराम द्वारा लंकापति रावण का वध करना और मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का अंत। दशहरा आने से पहले लोगों द्वारा रामलीला का आयोजन किया जाता है और इस दिन भगवान राम द्वारा लंकापति रावण का वध करते हुए दिखाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए जलेबियों का सेवन किया जाता है।

अगर हम इसके पीछे के वैज्ञानिक रहस्यों की बात करें तो सावन और भादप्रद के बाद नमी के चलते वातावरण में काफी जीवों की संख्या हो जाती है, ऐसे में पूजा में जलाया जाने वाला गाय के गोबर से बना कंडा वातावरण को शुद्ध कर देता है।
नवरात्रि- नवरात्रि आते ही देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उपवास रखे जाते हैं। वैज्ञानिक रूप से अगर इस त्यौहार को देखें तो ये ऋतु परिवर्तन के समय मनाया जाता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। इसलिए नवरात्रि में उपवास और शुद्ध भोजन, शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद करते हैं।

अन्य त्यौहारों से तुलना
भारत में जो त्यौहार मनाए जाते हैं वे ज्यादातर धार्मिक गहराई से जुड़े हुए होते हैं, काफी गहरे होते हैं। उनका संबंध प्राकृति से होता है और इन त्यौहारों की वजह से एक सामूहिकता की भावना आती है, पूजा की जाती है, खान-पीन, नृत्य किया जाता है। वहीं, अगर दूसरे त्यौहारों से तुलना करें तो उनका संबंध ज्यादा प्रकृति से नहीं होता (जापान और चीन को छोड़कर), बहुत से त्यौहार ऐेसे हैं जो व्यक्तिगत होते हैं और भारत के त्यौहारों की तरह सामूहिक नहीं होते।
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