चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट) : खर्च कम करने की कोशिशों में जुटी पंजाब सरकार ने मुलाजिमों को दिए जा रहे टेलीफोन-मोबाइल भत्ते को बंद करके, मुलाजिमों के मोबाइल फोन खुद ही रिचार्ज कराने का फैसला किया है। वित्त विभाग ने प्रस्ताव भी तैयार करके सरकार को दे दिया है। सरकार ने मोबाइल कंपनियों से संपर्क साधने की कवायद भी शुरू कर दी है। हालांकि विधायकों-मंत्रियों को टेलीफोन-मोबाइल भत्ते के रूप में हर महीने दिए जाने वाले 15000 रुपये में कोई कटौती करने का प्रस्ताव नहीं है।
मुलाजिमों को टेलीफोन भत्ते के रूप में, ग्रुप-ए के अफसरों-मुलाजिमों को 500 रुपये महीना, ग्रुप बी के अफसरों-मुलाजिमों को 300 रुपये महीना और ग्रुप-सी व ग्रुप-डी के मुलाजिमों को 250 रुपये महीना दिया जा रहा है। प्रस्ताव में अगर सरकार खुद मुलाजिमों के मोबाइल रिचार्ज कराती है तो उसे क्रमश: 250 रुपये, 125 रुपये, 100 रुपये और 100 रुपये मासिक चुकाने पड़ेंगे। सरकार को 50 से 75 फीसदी तक की बचत होगी। सरकार इस मामले में किसी ऐसी मोबाइल कंपनी से करार करना चाह रही है, जो 125 रुपये का मासिक पैकेज दे।
अगर, मुलाजिम ज्यादा डाटा इस्तेमाल करता है तो 125 रुपये के बाद आने वाला बिल उसे अपनी जेब से भरना होगा। वहीं साझा मुलाजिम मंच पंजाब एवं चंडीगढ़ के कन्वीनर सुखचैन सिंह खैरा और मनजीत सिंह रंधावा ने फेैसले का विरोध करते हुए कहा कि वित्त मंत्री को पहले यह फैसला खुद पर लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सरकार के सभी मंत्री 15000 रुपये मासिक टेलीफोन भत्ता ले रहे हैं, जोकि सरकार पर सीधे तौर पर आर्थिक बोझ है।
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