जालंधर (प्रदीप वर्मा) : Burning Punjab by Stubble : पंजाब के किसानो द्वारा पराली जलाने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। हवा की गुणवत्ता का स्तर दिन व दिन कम हो रहा है और सांस लेना दुभर हो रहा है। पंजाब के लुुुधियाना, बठिंडा, पटियाला, अमृतसर व जालंधर महानगरों सहित पूरे पंजाब में इस कारण होने वाले रोगो के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। हालांकि सरकार द्वारा ऐसा करने वाले किसानो पर जुर्माना लगाया जा रहा है पर इस जुर्माने से सरकारी खजाने में तनिक भर इजाफा करने के इलावा और कुछ भी नहीं हो पा रहा है। सरकार इस जुर्म के लिए अब किसानो पर अब कोई मामला दर्ज नहीं कर रही है जिस कारण किसान अब बिना किसी डर के पराली जला रहे हैं।
पिछले सभी रिकार्ड टूटे
एक रिपोर्ट के अनुसार लुधियाना में धूऐं से होने वाले प्रदूशन से होने वाली बिमारीयों के मरीजों की संख्या में लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। यह संख्या जालंधर में 40-50 प्रतिशत तक बढ़ी है और यही हाल अमृतसर, बठिंडा व पटियाला में भी है। वहीं पराली के कारण चंडीगढ़ में भी हालात चिंताजनक हो गए हैं। पीजीआइ के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की टीम पराली जलने और प्रदूषण की स्थिति की लगातार मानीटरिंग कर रही है। एक सप्ताह से घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। पिछले सभी रिकार्ड टूट रहे हैं।
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बाहर निकलने से परहेज करें अस्थमा के मरीज
नाक, कान व गले की रोग बढ़ने के कारण विशेषज्ञ लोगों को बाहर निकलने से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि पटाखों व पराली को आग लगाने से उठने वाले धुएं में कार्बन मोनो आक्साइड, ओजोन, पीएम 2.5 व पीएम 10 के बढ़े स्तर की वजह नजला, जुकाम, खांसी तथा सांस लेने में दिक्कतों का ग्राफ बढ़ा है। जहरीली हवा बच्चों व बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करती है। अस्थमा के मरीज बाहर निकलने से परहेज करें। आंखों साफ पानी धोते रहना चाहिए। दमा व टीबी के मरीज अपने साथ इन्हेलर जरूर रखें।
Burning Punjab by Stubble : सीएम के ईलाके में सबसे अधिक मामले
अब तक सीएम भगवंत मान के इलाके में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटानाऐं सामने आई हैं। पंजाब में 15 सितंबर से 3 नवंबर तक पराली जलाने के 24146 मामले सामने चुके हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान के इलाके संगरूर के हालात सबसे दयनीय नजर आ रहे हैं। जिले में अब तक 285 किसानों से पराली जलाने को लेकर 7 लाख 12 हजार रुपये का जुमार्ना लगाया चुका है। इन किसानों की जमीन को रेड एंट्री में मार्क कर दिया गया है। प्रशासन के मुताबिक संगरूर में 2721 जगहों पर सैटेलाइट के जरिए आग लगने की लोकेशन मिली थी. अधिकारियों ने 1051 से ज्यादा जगहों पर खुद जाकर इन घटनाओं की तकरीबन 756 जगहों पर खेतों में आग लगने की सूचना सही पाई गई।
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बारिश ही दिलाएगी राहत, तब तक पहनें मास्क
एयर क्वालिटी इंडैक्स में लगातार हो रही खराबी से केवल बारिश ही राहत दिला सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में लगातार हो रहे बदलाव से रोग बढ़ रहे हैं। शनिवार को जालंधर में एक्युआई 300 से भी ज्यादा के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था जबकि समान्य परिस्थितियों में यह 100 से भी कम होता है। प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ते जाने की वजह से मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इनमें ज्यादातर संख्या बच्चों और बुजुर्गों की सामने आ रही है। जिन्हें गला दर्द आंखों में जलन खराश खांसी आदि की समस्याएं आ रही है। जिन मरीजों को श्वास लेने आदि की समस्या रहती है वह इन दिनों एन90 मास्क पहनकर ही रखें। क्योंकि यह बढ़ता प्रदूषण उनके लिए ठीक नहीं है।
क्या इस साल मरने दो ?
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पंजाब के मुख्यमंत्री पत्र लिख कर पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है। जिसके बाद पराली जलाने में किसानों द्वारा की जा रही बेइंतिहा की जिम्मेदारी मान सरकार द्वारा ली गई है। सरकार ने माना है सरकार इसे रोकने में फेल साबित हो रही है। इस बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक संयुक्त प्रैस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि उनकी सरकारें पराली जलाने के चलन को रोकने के लिए प्रयासरत है और अगली सर्दीयों तक इस पर रोक लगाने का वादा किया। अरविंद केजरीवाल ने कहा सर्दीयों में यह समस्य केवल दिल्ली की ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत की है। सरकार इस पर अगले साल तक रोक लगाने का वादा कर रही है क्या इसका मतलब यह माना जाए कि इस साल लोगों को मरने दो ? इस साल तो सरकार चुनावों में व्यस्त है।