जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): Punjabi Ignored in AAP केजरीवाल की तिरंगा यात्रा में लोगों की भीड़ में चारों तरफ तिरंगा ही तिरंगा नजर आया और बहुत से लोगों दिहाड़ी पर लाए जाने की बातें भी मीडिया में वायरल हुई। इस सब के बीच केजरीवाल साहब ने बड़े-बड़े ऐलान भी कर डाले पर सबसे बड़ी बात जिस क्षेत्र के लिए ऐलान किए गए वहां के नेता तो रैली में नजरअंदाज होते ही नजर आए। आम आदमी पार्टी की लोकल लीडरशिप को केजरीवाल के आस-पास तक नही फटकने दिया गया। फिर चाहे वह आप के जिला प्रधान सोढी हों या प्रदेश प्रवक्ता डॉ संजीव शर्मा हों लोकल लीडरशिप को केजरीवाल से पूरी तरह दूर रखा गया।
हालांकि तिरंगा यात्रा में चारों और तिरंगा तो नजर आया पर कहीं भी आप के लोकल कार्यकर्ता व लोकल लीडरशिप नजर नहीं आई। ऐसे में लोकल कार्यकर्ता व लीडरशिप को नजरअंदाज किया जाना केजरीवाल को भारी भी पड़ सकता है। जिसका खामियाजा आने वाले चुनावों में केजरीवाल को फिर से हार का सामना कर चुकाना पड़ सकता है।
आप के लोकल नेताओं को किस हद तक नजरअंदाज किया गया इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आप की तरफ से जारी किए गए प्रैस नोट में व तस्वीरों में भी स्थानीय नेताओं को जगह नहीं दी गई। अलावा सुरिंदर सिंह सोढी व बलकार सिंह के प्रैस नोट में किसी अन्य स्थानीय नेता का नाम नहीं दिया गया। यहां तक कि प्रेदश प्रवक्ता डॉ संजीव शर्मा का भी नाम प्रैस नोट में देना मुनासिफ नहीं समझा गया।
Punjabi Ignored in AAP : आप में आज भी बौने है पंजाबी नेता
इस सब के बाद यह साबित हो गया कि आम आदमी पार्टी में दिल्ली वालों के सामने पंजाब के नेता आज भी बौने ही हैं और उनको कभी भी उनका बनता हक या सम्मान नहीं दिया जाता। पंजाब में भाईचारे की बात करने वाले केजरीवाल की कथनी-करनी में कितना फर्क है ये रैली में साफ देखने को मिला। स्थानीय नेता दूर-दूर से झंडे लहराते ही नजर आए पर उनमें से किसी को भी केजरीवाल के आस-पास फटकने की शायद इजाजत नहीं मिली।
पहले भी भुगत चुके हैं केजरीवाल
यह पहली बार नहीं हुआ है कि केजरीवाल ने स्थानीय लोगों को नजरअंदाज किया हो। इससे पहले भी केजरीवाल ने पंजाब के कई नेताओं को नजरअंदाज किया है जिस का खामियाजा उन्होने अपने 10 से ज्यादा विधायक गवां कर भुगता है। अपने-आप को नजरअंदाज होता देख कई पार्टी नेता केजरीवाल की पार्टी से किनारा कर चुके हैं फिर चाहे वह उनके विधायक रहे हों या स्थानीय नेता। दबी जुबान में इस बारे में लोकल नेता कई बार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी में उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया जाता। जिस कारण वह पार्टी में हमेशा अपमानित सा महसूस करते हैं।
सौ बात की एक बात
अगर ऐसे ही रहा तो केजरीवाल का पंजाब में सरकार बनाने का सपना कहीं भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। शायद यही वजह है कि केजरीवाल की पार्टी ने पंजाब में जैसे अगाज़ किया था वह जाहो-जलाल अब फीका होता नजर आ रहा है। भले ही केजरीवाल पंजाब में दिल्ली मॉडल लागू करने की बात करते हों पर सच तो यह है कि वह पंजाब में ही पंजाब के अपने नेताओं का सम्मान नहीं करते तो आम जनता की क्या परवाह करेंगें ?