नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) : Loksabha Speaker Election : 18वीं लोकसभा में स्पीकर के चुनाव के लिए विपक्ष ने एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला के ख़िलाफ़ अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। लेकिन उन्होंने विभाजन की मांग नहीं की। बुधवार सुबह ओम बिरला को ध्वनिमत से स्पीकर चुन लिया गया यानी बिना वोटिंग के चुनाव हुआ। इस पर सब की सहमति हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर मत विभाजन की मांग ही नहीं करनी थी तो उन्होंने उम्मीदवार को खड़ा क्यों किया ?
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सिर्फ़ तीन बार ही ऐसा हुआ है, जब स्पीकर के पद के लिए मतदान हुए हों, इससे पहले यह चुनाव सहमति से हो जाता था। पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति बन जाया करती थी। इस चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने कांग्रेस से अपने अनुभवी सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को स्पीकर पद के लिए पेश किया था।
Loksabha Speaker Election : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कोडिकुन्निल सुरेश के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया था। उन्होंने इस पर लिखा कि स्पीकर का चुनाव मत विभाजन से नहीं ध्वनिमत से हुआ है। इसके बाद भी इंडिया गठबंधन की पार्टियां मत विभाजन की मांग कर सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि उन्हें पता था की ऐसा करने से मामला बिगड़ सकता है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, “हमारा विरोध सांकेतिक था, लोकतांत्रिक था क्योंकि परंपरा तोड़कर डिप्टी स्पीकर नहीं दे रहे थे। इसलिए हमने साफ़ बता दिया कि संविधान नहीं बदलने देंगे. जनता के हितों के ख़िलाफ़ नहीं जाने देंगे. परंपराओं के ख़िलाफ़ नहीं जाने देंगे। अपनी पूरी शक्ति से इसका विरोध करेंगे.”
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