
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): History of Vande Mataram : संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम पर बहस शुरू हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के 150 साल उस गर्व और हमारे अतीत के उस महान हिस्से को फिर से जगाने का एक मौका है। इस गीत ने हमें 1947 में आज़ादी पाने के लिए प्रेरित किया। वास्तव में आजादी के समय अंग्रेजों ने एक तुगलकी फरमान जारी किया। इस आदेश में सरकारी मुलाजिमों को ‘गॉड सेव द क्वीन’गाना जरूरी कर दिया गया।
इसी के गुस्से में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में ये गीत लिखा.इस गीत की रचना 7 नवंबर 1875 को की गई। इस गीत के शुरुआती दो पैरा संस्कृत भाषा में थे, जबकि बाकी की रचना बंगाली में की गई थी। इस गीत को सुर और ताल देने का श्रेय महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर को जाता है, जिन्होंने इसे सबसे पहले 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया था। बाद में, अरबिंदो घोष ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया और आरिफ मोहम्मद खान ने इसका उर्दू अनुवाद किया। आजादी के बाद, 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रगान (‘जन गण मन’) के साथ ही वंदे मातरम को भी भारत के राष्ट्रीय गीत का सम्मानजनक दर्जा दिया गया।
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