
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट)- Freedom Fighters : भारत को आजादी दिलाने के लिए सैकड़ों हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान कुर्बान की। इन सेनानियों में बहुत कम सेनानियों के बारे में हमने पढ़ा या सुना है जबकि बहुत से सेनानियों के बारे में हम नहीं जानते। जैसे कि मातंगिनी हाजरा, एक ऐसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी जिन्होंने भारत छोडो आंदोलन और असहयोग आंदोलन के दौरान भाग लिया था। एक जुलूस के दौरान वे भारतीय झंडे को लेकर आगे बढ़ रही थीं और पुलिसकर्मियों ने उनपर गोली चला दी। उनके शरीर में तीन गोलियां लगीं फिर भी उन्होंने झंडा नहीं छोड़ा और वे ‘वंदे मातरम्’ ने नारे लगाती रहीं।
Freedom Fighters : इसी प्रकार पोटी श्रीरामुलू जोकि महात्मा गांधी के कट्टर समर्थक और भक्त थे। जब गांधीजी के देश और मानवीय उद्देश्यों के प्रति उनकी निष्ठा देखी तो कहा था कि ‘ अगर मेरे पास श्रीरामुलू जैसे 11 और समर्थक आ जाएं तो मैं एक वर्ष में स्वतंत्रता हासिल कर लूंगा।’ कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी जिन्हें कुलपति के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की थी। वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और विशेष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बहुत सक्रिय रहे थे। स्वतंत्र भारत के प्रति उनके प्रेम और त्याग के कारण वे अनेक बार जेल गए।
कमलादेवी चट्टोपाध्याय देश की ऐसी पहली महिला थीं जिन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा था। साथ ही, वे पहली ऐसी महिला थीं जिन्हें अंग्रेज शासन ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने एक सामाजिक सुधारक के तौर पर बड़ी भूमिका निभाई और उन्होंने भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए हस्तशिल्प, थिएटर और हैंडलू्म्स (हथकरघे) को बहुत बढ़ावा दिया।
आपने अरुणा आसफ अली के बारे में सुना होगा, जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम की “द ग्रैंड ओल्ड लेडी” के नाम से भी जाना जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन करने के लिए बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए जाना जाता है। वह भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं, जिन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन और अन्य विरोध मार्च में भी भाग लिया था। अधिकांश स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कैद कर लिया था। उन्होंने भूख हड़ताल करके भारतीय कैदियों के साथ दुर्व्यवहार का भी विरोध किया। इसी प्रकार बिहार के सारण में साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वालीं तारा रानी श्रीवास्तव की शादी फुलेंदु बाबा से हुई। दोनों पति-पत्नी 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए।
उन्होंने भारतीय ध्वज थामे और “इंकलाब” के नारे लगाते हुए विरोध जारी रखा और सीवान पुलिस स्टेशन की ओर मार्च शुरू करने के लिए भीड़ जुटाई। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी और उनके पति को गोली लग गई और वे गिर पड़े। तारा रानी ने अपनी साड़ी से अपने पति को पट्टी बांधी और सीवान पुलिस स्टेशन की ओर मार्च का नेतृत्व करना जारी रखा। जब तारा वापस आईं, तो उनके पति की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने फिर भी रुकना नहीं छोड़ा और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना जारी रखा।
तिलका मांझी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और संथाल समुदाय के पहले आदिवासी नेता थे। उन्होंने आदिवासियों को एक सशस्त्र समूह बनाने के लिए संगठित करने का काम किया। आगे चलकर इसी संगठन ने मिलकर अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, साल 1784 में, अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उन्हें घोड़े की पूंछ से बांधकर घसीटते हुए भागलपुर में कलेक्टर के आवास तक लाया गया। यहां उन्हें एक बरगद के पेड़ से लटका दिया गया।
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