
पठानकोट (गुरदासपुर) (वीकैंड रिपोर्ट)- Delhi bomb blasts : दिल्ली बम धमाकों के तार पठानकोट से भी जुड़ते नज़र आ रहे हैं, जहाँ एजेंसियों ने पठानकोट के एक अस्पताल पर छापा मारा और डॉ. रियाज़ अहमद भट्ट को अपने साथ ले गई। सूत्रों के अनुसार, उक्त डॉ. फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय में भी काम कर चुका है और उसे दिल्ली बम धमाके में शामिल होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी भट्ट दिल्ली विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी डॉ. उमर के संपर्क में था। डॉक्टर को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है। हालांकि डॉक्टर को किस एजेंसी ने गिरफ्तार किया है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पकड़ा गया डाॅक्टर बोना डायलगाम, अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है। अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी भी शक के दायरे में हैं। अल फलाह के मैनेजिंग ट्रस्टी और संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी हैं।
अपने कारपोरेट नेटवर्क और पुराने आपराधिक मामलों को लेकर शक की सुइयां उनकी ओर भी घूम रही हैं। जावेद अहमद सिद्दीकी और उनके सहयोगी जावेद अहमद के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कालोनी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज और आपराधिक साजिश जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इसमें सिद्दीकी और अन्य पर फर्जी निवेश योजनाएं चलाने और लोगों को उनकी कंपनियो में पैसा लगाने के लिए लुभाने का आरोप है। अल-फ़लाह विश्वविद्यालय 2014 से एक मान्यता प्राप्त प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में संचालित है।
साल 2014 में जब हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार थी, उसी दौरान अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक्ट पास हुआ। ट्रस्ट को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलता है, और सिद्दीकी शिक्षा-जगत का “मसीहा” बन जाता है।
सिद्दीकी कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के वरिष्ठ नेता भी हैं।
वहीं इसका मेडिकल कॉलेज में 2019 से एमबीबीएस की पढ़ाई हो रही है। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और कॉलेज कमेटी की चेयरमैन भी डॉ. भूपिंदर कौर आनंद है। वहीं मेडिकल कॉलेज के वीसी डॉ. अनिल कुमार हैं और डीन एकेडमिक्स डॉ. मेहर सिंह पुनिया हैं. नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिएशन काउंसिल (NAAC) ने यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजा है, क्योंकि यूनिवर्सिटी की मान्यता कई साल पहले खत्म हो चुकी थी। इसके बावजूद वेबसाइट पर उसे मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में दिखाया जा रहा है। इसी को लेकर NAAC ने यूनिवर्सिटी से सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। यूनिवर्सिटी में मेडिकल कोर्सेस में लगभग 1200 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। उनकी पढ़ाई बीच में ही लटक गई है। हरियाणा सरकार ने इस स्थिति में वैकल्पिक कॉलेजों की तलाश शुरू कर दी है
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