
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) – Delhi Air Pollution : दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। गुरुवार से राजधानी में ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत जिन वाहनों के पास वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट नहीं होगा, उन्हें ईंधन नहीं मिलेगा। साथ ही, दिल्ली में बाहर से आने वाली केवल बीएस-6 मानक वाली गाड़ियों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों पर प्रतिबंध पहले की तरह जारी रहेगा, क्योंकि ग्रैप (GRAP) के तहत निर्माण कार्यों पर रोक लगी हुई है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने वाहनों से होने वाले धुएं, धूल, कचरा और ट्रैफिक जाम को निशाने पर रखते हुए इमरजेंसी और लॉन्ग-टर्म उपायों का बड़ा पैकेज घोषित किया है। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है, क्योंकि राजधानी के लोग खतरनाक स्मॉग के संपर्क में हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिरसा ने PUC सिस्टम में आमूल-चूल बदलाव, थर्ड-पार्टी मॉनिटरिंग की शुरुआत, पूरे शहर के लिए कार-पूलिंग ऐप, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम में सुधार और मशीनीकृत सड़क सफाई मशीनों की बड़े पैमाने पर तैनाती की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा PUC सेंटर पुराने हो चुके हैं और उनमें कई खामियां हैं, इसलिए सिस्टम को पूरी तरह अपडेट किया जाएगा।
Delhi Air Pollution : पर्यावरण मंत्री ने बताया कि बुधवार वाहन मालिकों के लिए वैध PUC सर्टिफिकेट बनवाने का आखिरी दिन था। गुरुवार से बिना PUC वाले वाहनों को फ्यूल नहीं दिया जाएगा। नियमों के पालन के लिए ANPR कैमरे, पेट्रोल पंपों पर वॉयस अलर्ट और पुलिस बल की तैनाती की गई है। फ्यूल बैन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए दिल्ली में 126 चेकपॉइंट बनाए गए हैं, जिनमें बॉर्डर पॉइंट भी शामिल हैं। इसके अलावा, 580 पुलिसकर्मी और 37 प्रवर्तन वैन तैनात की गई हैं।
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की एनफोर्समेंट टीमें पेट्रोल पंपों और बॉर्डर चेकपॉइंट्स पर निगरानी रखेंगी। सिरसा ने नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि लोग पेट्रोल पंपों या चेकपॉइंट्स पर तैनात अधिकारियों से बहस न करें, क्योंकि ये कदम जनता की सेहत और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए उठाए गए हैं। इसके साथ ही ट्रैफिक दबाव कम करने के लिए सरकारी और निजी संस्थानों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली सरकार ट्रैफिक जाम वाले हॉटस्पॉट की पहचान के लिए गूगल मैप्स और मैप इंडिया के साथ मिलकर लाइव डेटा के इस्तेमाल पर भी विचार कर रही है।
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