
शनिवार वाड़ा से लेकर श्रीरंगपट्टना तक, वक्फ बोर्ड के दावों ने बढ़ाई चिंता
पुणे/नई दिल्ली : शनिवार वाड़ा किले में तीन मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज अदा करने का मामला अब सियासत और संस्कृति के बीच नई बहस छेड़ रहा है। जहां एक तरफ विपक्षी दल इस घटना को “धार्मिक स्वतंत्रता” बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने शुद्धिकरण करके एक स्पष्ट संदेश दिया है – “हिंदू सांस्कृतिक विरासत पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं।”

लेकिन क्या यह सचमुच सिर्फ एक नमाज का मामला है ? इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि यह एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
वक्फ बोर्ड का साया: कैसे ‘नमाज’ बन जाती है ‘दावे’ की बुनियाद
मध्य प्रदेश के माखनी गांव में वक्फ बोर्ड ने तीन एकड़ जमीन पर दावा ठोका, जिसमें निजी घर, खेत और एक शिवलिंग भी शामिल है। हैरानी की बात यह है कि बोर्ड के पास इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं है।
इसी तरह कर्नाटक के श्रीरंगपट्टना में वक्फ बोर्ड ने 70 से ज्यादा संपत्तियों पर दावा पेश किया, जिनमें टीपू आर्मरी जैसे एएसआई-संरक्षित स्मारक, सरकारी संग्रहालय और हिंदू मंदिर तक शामिल हैं।
इसी तरह मध्य प्रदेश के विदिशी में भी हिन्दू मंदिर पर कब्जा किया गया जिसे छुड़वाने के लिए स्थानिय हिन्दू संघठनो को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
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खतरनाक पैटर्न: पहले नमाज, फिर दावा
विशेषज्ञों के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में एक खास पैटर्न नजर आता है:
1. पहले किसी सार्वजनिक या गैर-इस्लामिक स्थल पर नमाज शुरू होती है
2. फिर इसे “रूटीन” बना दिया जाता है
3. इसके बाद “ऐतिहासिक उपयोग” का दावा किया जाता है
4. अंत में वक्फ बोर्ड कानूनी तौर पर जमीन पर दावा पेश कर देता है
कानूनी चुनौती: वक्फ एक्ट 1995
वक्फ एक्ट 1995 की धारा 83 के तहत गठित वक्फ ट्रिब्यूनल को इतनी शक्तियां दी गई हैं कि वह नियमित अदालतों के दायरे से बाहर काम करता है। एक बार किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाए तो उसे चुनौती देना आम नागरिकों के लिए लगभग नामुमकिन हो जाता है।
सरकार का कदम
कर्नाटक सरकार ने 9 नवंबर 2024 को एक आदेश जारी करके सभी जिला आयुक्तों को वक्फ बोर्ड के नोटिस वापस लेने और अवैध कब्जे हटाने के निर्देश दिए हैं।
चिंता का विषय
शनिवार वाड़ा में नमाज का मामला सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि एक चेतावनी है। अगर हमने अब भी आंखें नहीं खोली तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। हिंदू सांस्कृतिक विरासत की रक्षा सिर्फ सरकार की नहीं, हर देशभक्त नागरिक की जिम्मेदारी है।
नोट: यह खबर तथ्यों और घटनाओं पर आधारित है। किसी भी धर्म या समुदाय के प्रति अनादर का इरादा नहीं है।
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