
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को गैंगरेप पीडि़ता बिलकीस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने गुजरात सरकार को यह भी आदेश दिया कि वह नियमों के मुताबिक बिलकीस बानो को सरकारी नौकरी और रहने के लिए आवास मुहैया कराए। फैसला सुनाते वक्त चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने गुजरात सरकार की स्थायी वकील हेमंतिका वाही से कहा कि आप खुद को भाग्यशाली मानें कि हम आपकी सरकार के खिलाफ कोई फैसला नहीं ले रहे हैं। 27 फरवरी को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इस दंगे में बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ। इसी के कुछ दिन बाद 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकीस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में बिलकीस के 3 साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। हालांकि इस हमले में बिलकीस और उनके परिवार के 6 लोग जिंदा बच गए। उस वक्त 19 साल की पांच माह की गर्भवती बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। बिलकीस बानो ने इसके अगले दिन यानी 4 मार्च 2002 को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी। 22 मार्च 2002 को कम्युनलिज्म कॉम्बैट की तत्कालीन उपसंपादक तीस्ता सीतलवाड़ ने गोधरा रिलीफ कैंप में बिलकीस बानो का इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के पूवज़् अध्यक्ष जस्टिस जेएस वर्मा भी मौजूद थे।]]>
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