मां बगलामुखी धाम में आलौकिक मासिक हवन यज्ञ सम्पन्न
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : यूं तो मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लम्मापिंड चौंक जालंधर में हवन-यज्ञ का आयोजन प्रत्येक गुरुवार को होता ही रहता है परंतु शनिवार 23 नवंबर शाम का हवन-यज्ञ कुछ अलग ही हर्षोल्लास लिए हुए था क्योंकि उस दिन महांकाल भैरव जयंती के विशेष अवसर पर कुछ खास मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां दी जानी थी। सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमानों से विधिवत वैदिक रीति अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन, नवग्रह पूजन एवं कुंभ स्थापित कर हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
इस अवसर पर सिद्ध मां बगलामुखी धाम के मुख्य सेवादार नवजीत भारद्वाज ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को श्रद्धा का वास्तविक अर्थ समझाते हुए कहते हैं कि महापुरुषों के वाक्यों में निष्ठा होना। उनके कहे वचन आपको हितकर लगें। आपको यह लगे कि जो शास्त्र में है, ग्रंथ में है, संत कह रहा है, गुरु कह रहे हैं, माता-पिता बता रहे हैं और जो हमें परंपरा से प्राप्त है, वे सारे के सारे ऐसे प्रमाण हैं जिनसे यह भवसागर हो सकता है। यही तत्व तारक हैं, धर्ममूलक हैं, व्यवस्था मूलक हैं, ज्ञानमूलक हैं तथा मुक्तिमूलक हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि ‘श्रीमद्भागवत गीता’ में कहा गया है श्रद्धा ज्ञान की जननी है। श्रद्धा की कोख में ही ज्ञान पलता है। जो ज्ञान भ्रम-भय का भंजन करता है, हमारी मूल मान्यताओं पर प्रहार करता है, हमारे पूर्वाग्रहों से ग्रसित हमारी बुद्धि में समाधान का कारण बनता है तथा हमें उद्धत, चंचल और उन्मत्त होने से रोकता है; वह अत्यंत आनंदकारक एवं शांतिप्रदायक है। इसलिए भगवान ने कहा है कि श्रद्धा एक ऐसी कोख है जहां धीरे-धीरे ज्ञान पल रहा होता है। जिस ज्ञान में विनम्रता, प्रियता, आनंद माधुर्य स्थिरता, तथा आत्मरूपता होती है, वह सबके लिए समभाव है।
Maa Baglamukhi Dham Jalandhar organised havan on Shri Kal Bhairav Jayanti
ज्ञान का अर्थ यह नहीं कि जिसमें श्रेष्ठता हो-वह छोटा है और मैं बड़ा हूं। ज्ञान में केवल श्रेष्ठता का बोध नहीं रहता। पवित्रता या उच्चता का बोध नहीं रहता। वैषम्यता का भाव नहीं होता। ज्ञान का अर्थ यह भी नहीं है जिसमें निरंतर पूज्यता का बोध रहे कि अब मैं बड़ा हो गया और ये छोटे हैं। ज्ञान वह है जो समतामूलक, प्रेमकारक तथा समाधान का आधार हो। यह ज्ञान आत्मभाव और अपनेपन की मीठी सी अनूभूति पैदा करता है। जब हम मन से नियंत्रण खो बैठते हैं, अथवा जब हमारी बुद्धि के भ्रम बढ़ जाते हैं।
उस समय यह ज्ञान काम में आता है जो आपको सहजता प्रदान करता है, आपको साधकर रखता है, आपको संतुलित रखता है तथा आपको व्यवस्थित रखता है। इस ज्ञान की जननी कोई और नहीं श्रद्धा ही तो है। उन्होंने सभी भक्तजन से कहा कि वह कम से कम सप्ताहांत एक बार सपरिवार मदिंर जरुर जाएं और अपने धर्म के बारे में अपने बच्चो को जरुर अवगत करवाएं। मां बगलामुखी धाम के सेवादार श्रीकंठ जज ने सभी भक्तजन का स्वागत किया वा ऐसे ही सभी धार्मिक आयोजन में बड चड कर सम्मिलित होने का आवाह्न किया।
इस अवसर पर श्रीकंठ जज,श्वेता भारद्वाज, समीर कपूर, मुनीष शर्मा,बलजिंदर सिंह, विवेक सहगल, मनमोहन भट्टी, अमरेंद्र कुमार शर्मा,रिंकू सैनी,रेखा सहगल, रोहित भाटिया,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन जी, सुक्खा अमनदीप,चेतन अरोडा, अवतार सैनी,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,मोहित राणा,सौरभ अरोडा, नरेश त्रेहन, राजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण,विवेक शर्मा, नितिश, भोला शर्मा,गुलजार खोसला, अमृतपालसिंह,जानू थापर,अमित शर्मा, हंसराज,संदीप शर्मा, दीपक कुमार, अश्विनी शर्मा ,कुलविंदर सिंह मल्ल, रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश,गौरव जोशी, प्रशांत,सौरभ मल्होत्रा,सुभाष डोगरा, ऋषभ कालिया, प्रिंस कुमार,कमल नैयर सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे। हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।