जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): लॉकडाउन और कर्फ्यू कोरोनावायरस की चेन भले ही पूरी तरह न तोड़ पाए हों, लेकिन ड्रग्स सप्लाई की चेन पंजाब में जरूर टूट रही है। प्रदेश में 22 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद नशा तस्करी का ग्राफ गिर गया है। फरवरी में जहां नशा तस्करी के 815 केस दर्ज हुए, वहीं, मार्च में 762 केस सामने आए। अप्रैल महीने अब तक 154 केस दर्ज किए गए यानी केसों में 40% के करीब कमी आई है। नशे की बरामदगी में भी 50% की कमी आई है। बड़ी बात यह है कि पिछले 25 दिनों में नशे से एक भी मौत का मामला नहीं आया है। एक बड़ा कारण ये भी है कि पाकिस्तान भी इस महामारी से जूझ रहा है। इसलिए सीमा पार से भी ड्रग्स नहीं आ पा रही है। वहीं, पंजाब सरकार का भी मानना है कि लॉकडाउन के कारण नशा तस्करी की चेन टूट रही है। इसलिए कोशिश रहेगी कि नशे को लेकर ये सख्ती आगे भी जारी रहे।
1. सूबे के गांवों में 24 घंटे ठीकरी पहरा
गांवों में कोरोना को रोकने को ग्रामीणों ने गांव के एंट्री प्वाइंट्स पर नाके लगाए हुए हैं। वहां 24 घंटे ठीकरी पहरा है। किसी को भी पूरी जांच पड़ताल के बाद ही एंट्री दी जाती है। इसलिए तस्करों के कदम पहले ही रुक जाते हैं। शहरी व ग्रामीण इलाकों में चिट्टा, भुक्की व अफीम की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। लेकिन ठीकरी पहरे के चलते इस पर लगाम लग गई है।
2. राज्य की सीमाएं चारों तरफ से सील
लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते ट्रांसपोर्टेशन बंद होने के कारण हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू्, मध्यप्रदेश से चिट्टा, भुक्की, अफीम की सप्लाई लेकर आने वाले तस्कर नहीं पहुंच रहे हैं। क्योंकि राज्य की सीमाएं सील हैं। बाहरी राज्यों से तस्कर न आने से लोकल सप्लायर के पास स्टॉक नहीं बचा है। इन दिनों तस्करों की धरपकड़ के केस कम हुए हैं।
नशा लेने वालों में 3.5 लाख युवा एडिक्ट हो चुके
‘ड्रग एब्यूज! प्रॉब्लम इज इंटेंस इन पंजाब और चंडीगढ़ पीजीआई व एम्स की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार सूबे में नशे से हर माह 112 की मौत हो रही है। जबकि सैकड़ों केसों का पता नहीं चलता है। थानोें और एनसीबी रिपोर्ट के अनुसार सूबे में 10 सालों 27000 युवाओं की जान गई। ज्यादातर मौत चिट्टे के कारण हुई। आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 9 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं। इसमें 3.5 लाख लोग एडिक्ट हैं।
अब 20 से 25 साल की 1500 से ज्यादा लड़कियां ड्रग के मामले सामने आ चुकी हैं। कॉलेजों के स्टूडेंट्स इन मादक पदार्थों के नशे की गिरफ्त में हैं, और इतने आदी हो जाते हैं कि जब इनके पास खरीदने के लिए पैसा नहीं होता। तो वे अपराध की तरफ मुड़ जाते हैं। एक साधारण स्टूडेंट्स से गैंगस्टर बनने का पंजाब का लंबा चौड़ा इतिहास है।
पहले इसलिए नहीं टूटी नशे की चेन
1. फिरोजपुर-फाजिल्का, अमृतसर में पाक की ओर से आती थी नशे की सप्लाई।
2. नेशनल हाईवे पर चैकिंग कम इसलिए बाहरी राज्यों से भी आ जाता था नशा।
3. ड्रग पेडलर्स पंजाब भर में नेटवर्क के माध्यम से बेचते थे नशा, अब सभी रास्ते बंद, सप्लाई भी बंद।सूबे से नशा मिटाने का बड़ा अवसर
2.7 करोड़ पंजाबियों के सामने नशा मिटाने का बड़ा अवसर है। कोरोना की इस महामारी के बीच नशे की चेन टूट चुकी है। ड्रग पैडलर्स भी आइसोलेट हो चुके हैं। पाक सीमापार से सप्लाई नहीं हो पा रही। दिल्ली के सारे रास्ते बंद हैं। जरूरत है पंजाबियों को दृढ़निश्चय करने की कि जैसे वे कोराेना महामारी से मिलकर लड़ रहे हैं। वैसे ही नशे के खिलाफ भी खड़े होंगे। गांवों में ठीकरी पहरा जारी रखेंगे और शहरों में तस्कर की पुलिस को सूचना देंगे ताकि ये सप्लाई दोबारा न शुरू हो सके। आशा कीजिए आने वाला समय पंजाब के लिए नया सवेरा लेकर आएगा।
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