जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट) : इलाज में कोताही को लेकर कई बार विवादों में घिरे अस्पताल NHS के डाक्टर एक बार फिर से विवादों में है। परफॉर्मेंस फेलियर को लेकर उपभोक्ता फोरम ने जालंधर के प्रसिद्ध डॉक्टर नवीन चितकारा को ₹500000 जुर्माना व ₹7000 कानूनी फीस अदा करने का हुक्म दिया है। इस बारे में उपभोक्ता फोरम में 2015 को आईपी सिंह द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम के प्रधान कुलजीत सिंह व सदस्य ज्योत्सना ने नासा न्यूरो केयर के डॉक्टर नवीन चितकारा को उक्त जुर्माना लगाया।
जाने क्या है पूरा मामला
8 जून 2015 में दायर किए गए उक्त मामले में आई पी सिंह ने बताया कि वह 4 जून 2013 में अपनी माता अवतार कौर के इलाज के लिए डॉक्टर नवीन चितकारा से संपर्क किया था। इस दौरान m.r.i. करने के बाद डॉक्टर चितकारा ने उन्हें उनकी की माता की स्पाइन सर्जरी कराने की सलाह दी। जिसके बाद उन्होंने कई डॉक्टरों से सलाह ली व अंत में डॉक्टर चितकारा से अपनी माता जी का इलाज करवाया। पर डॉक्टर चितकारा द्वारा स्पाइन सर्जरी करने के बाद भी उनकी माता को चलने फिरने उठने बैठने में तकलीफ निरंतर बनी रहेगी।
इसके बाद उन्होंने विभिन्न डाक्टरों से ही चिकित्सा परामर्श लिया जिसमें उन्हें डॉक्टरों द्वारा दोबारा सर्जरी करवाने के लिए कहा गया। जिसकी डॉक्टरों द्वारा इलाज के लिए दी गई पर्चियां बताओ सबूत पेश की थी।
सारे सबूतों व गवाहों पर सुनाई करते हुए इस फैसले को देने से पहले उपभोक्ता फोरम के प्रधान कुलजीत सिंह व सदस्य ज्योत्सना ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों में दिए गए लगभग आधा दर्जन फैसलों का अध्ययन करने के बाद डॉक्टर चितकारा को इलाज में परफॉर्मेंस फेलियर के तहत दोषी पाया।
जिसके बाद उन्होंने एनएचएस अस्पताल के डॉक्टर नवीन चितकारा को ₹500000 जुर्माना व ₹7000 कानूनी फीस व ₹3000 मेंटिनेस चार्जेस अदा करने का हुक्म दिया है।
आपको बता दें कि डॉक्टर नवीन चितकारा पहले नासा न्यूरो केयर के नाम से जोशी हॉस्पिटल के भीतर अपना अस्पताल चलाते थे। वर्तमान में वह NHS हॉस्पिटल के साथ कार्यरत हैं।
एनएचएस अस्पताल के डॉक्टरों पर फिर उठे सवालिया निशान!
ज्ञात हो कि हाल ही में मरीजों व उनके परिवार वालों के द्वारा एनएचएस हॉस्पिटल पर इलाज में कोताही को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे। जिसके बाद हुई जांच में सिविल सर्जन द्वारा एनएचएस अस्पताल को क्लीन चिट दी गई थी। पर हाल ही में आए इस फैसले के बाद लोगों का इस क्लीन चिट पर भी शक पैदा होने लगा है। होने लगा है।
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