
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) Himkhand Movement or Insurgency : राष्ट्रीय राजधानी में पर्यावरण के नाम पर हो रहे आंदोलनों के पीछे छिपे एक खतरनाक एजेंडे का पर्दाफाश हुआ है। ‘द हिमखंड’ नामक एक वामपंथी संगठन, जो खुद को जलवायु परिवर्तन का हिमायती बताता है, पर माओवाद को गौरवान्वित करने और हिंसा भड़काने के गंभीर आरोप लगे हैं। रविवार को इंडिया गेट पर हुए एक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन में इस संगठन के सदस्यों पर पुलिस पर मिर्ची स्प्रे से हमला करने और स्लेन माओवादी कमांडर मडवी हिदमा के नारे लगाने की घटना सामने आई है।
The Himkhand Realty : कौन है ‘द हिमखंड’?
‘द हिमखंड’ नामक यह संगठन मई 2024 से सक्रिय है और इसके इंस्टाग्राम पर दो आधिकारिक अकाउंट (‘thehimkhand’ और ‘the.himkhand’) मौजूद हैं। शुरुआत में पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित इस संगठन ने जल्द ही अपना वास्तविक रंग दिखाते हुए क्षेत्रीय राजनीति और प्रतिष्ठान-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देना शुरू कर दिया।
लद्दाख हिंसा को दिया समर्थन
अक्टूबर में, जब लद्दाख प्रशासन ने सोनम वांगचुक के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) को जमीन आवंटन रद्द किया, तो ‘द हिमखंड’ ने हिंसा को सही ठहराने का प्रयास किया। संगठन ने 5 अक्टूबर के एक पोस्ट में भाजपा कार्यालय में आगजनी की घटना को “विकास के एंटी-हिमालयन मॉडल के खिलाफ जनादेश” बताया। एक अन्य पोस्ट में, संगठन ने हिंसा को “शासक वर्ग द्वारा बनाई गई एक संरचना” बताकर उसे उचित ठहराने का प्रयास किया।
Protest is on Delhi Pollution
Slogans- “Comrade Hidma Amar Rahe”
The real protest is against Killing of Naxalite Hidma who has killed hundreds of our Jawans.
These “Laal Salam” Communists celebrated when Hidma led attack on on 75 CRPF Jawans in 2010.
These JNU Leftists are… pic.twitter.com/SO6lWWtbH0
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) November 23, 2025
Himkhand Movement or Insurgency : शहरी नक्सल क्रांति की साजिश
खबरों की मानें तो इस संगठन की मुख्य सदस्य ‘क्रांति’ नामक एक शहरी नक्सल है, जिसे भगत सिंह छात्र एकता मंच (bsCEM) के रवजोत के साथ “कॉमरेड हिदमा अमर रहे” जैसे उग्रवादी नारे लगाते देखा गया। यह स्पष्ट हो गया है कि ‘द हिमखंड’ और bsCEM दोनों मिलकर जलवायु activism के छद्म रूप में लाल आतंकवाद का प्रचार कर रहे हैं।
विकास परियोजनाओं का विरोध
‘द हिमखंड’ चार धाम रेलवे परियोजना जैसे राष्ट्रीय विकास कार्यों का भी ‘पर्यावरण संरक्षण’ के नाम पर विरोध करने में अग्रणी रहा है। संगठन ने 2020 के दिल्ली दंगों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले प्रशांत भूषण जैसे लोगों को भी अपने कार्यक्रमों में बुलाया है, जो इसके छिपे हुए एजेंडे को और पुख्ता करता है।
Himkhand Movement or Insurgency : एक सुनियोजित साजिश ?
ऑपरेशन कागर के सफलतापूर्वक समाप्त होने और माओवादी खतरे के कमजोर पड़ने के बाद, शहरी नक्सल अब अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए सामाज-आर्थिक मुद्दों का सहारा ले रहे हैं। ‘द हिमखंड’ का मामला इस बात का सबूत है कि कैसे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसे जरूरी मुद्दों का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। देश की सुरक्षा एजेंसियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
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