
अमृतसर (वीकैंड रिपोर्ट): अमृतसर में नारद जयंती के उपलक्ष्य में विश्व संवाद केंद्र पंजाब और पंचनाद अमृतसर के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को एक विशेष पत्रकार सम्मेलन आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में ऑर्गेनाइज़र अंग्रेज़ी साप्ताहिक के संपादक श्री प्रफुल केतकर उपस्थित रहे। साथ ही पंचनाद के अध्यक्ष डॉ. अरुण मेहरा, अमृतसर महानगर संघचालक प्रवीण जी, प्रचार टोली, समाजसेवी, पत्रकार, शिक्षाविद और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्राचार्य भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
प्रफुल केतकर जी ने अपने उद्बोधन में महर्षि नारद जी को भारतीय संवाद परंपरा का आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि नारद जी का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, रामायण, महाभारत सहित अनेक ग्रंथों में संवाददाता के रूप में मिलता है। वे तीनों लोकों में संचार करने वाले पहले संवादवाहक थे, जो तथ्यपरक, न्यायसंगत और लोककल्याणकारी संवाद के प्रतीक हैं। इसीलिए उन्हें भारतीय पत्रकारिता का आदर्श माना जाता है।
उन्होंने बताया कि भारत में पत्रकारिता की आधुनिक शुरुआत 1826 में हिंदी पत्रिका ‘उदंत मार्तंड’ से हुई, जो पंडित जुगल किशोर शर्मा द्वारा कलकत्ता से नारद जयंती के दिन प्रकाशित की गई। इसके मुखपृष्ठ पर महर्षि नारद का चित्र था, जो स्पष्ट करता है कि उस समय भी नारद जी को पत्रकारिता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया था।
प्रफुल जी ने पत्रकारिता के तीन मूल सूत्र भी बताए:
1. स्थल भ्रमण और प्रत्यक्ष उपस्थिति के बिना सटीक जानकारी नहीं मिल सकती। केवल टेबल न्यूज, गूगल या सुनी-सुनाई बातों पर आधारित खबरें विश्वसनीय नहीं होतीं।
2. हर जानकारी, हर समय, सभी को बताना आवश्यक नहीं। विवेक आवश्यक है कि कौन सी जानकारी कब, किसे और कैसे देनी चाहिए।
3. इस विवेक का आधार केवल TRP नहीं, बल्कि लोक कल्याण, धर्म-सत्य और न्याय होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि दुर्भाग्य से ब्रिटिश काल और फिल्मों के प्रभाव से नारद जी को ‘चुगली करने वाले’ के रूप में चित्रित किया गया, जो एक भ्रांति है। यही भ्रांतियां भारत के विमर्श को भी प्रभावित करती हैं। आज आवश्यकता है नारद जी के मूल आदर्शों की पुनर्स्थापना की, और जो पत्रकार कठिन परिस्थितियों में मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता कर रहे हैं – उनका सम्मान करने की।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (1955), जिसकी स्थापना के. एम. मुंशी जी की अध्यक्षता में हुई, उसमें भी सबसे पहले पत्रकार नारद जी को माना गया है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज सरकार को यह कहने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है कि “सेना की मूवमेंट शेयर न करें”? जैसे कि बाड़मेर एयरबेस से चार लड़ाकू विमान उड़े – यह खबर सार्वजनिक करना गलत है। उतना ही गलत है यह कहना कि “भारत ने कराची पर कब्जा कर लिया है” या “पाकिस्तानी जनरल मारा गया”।
कार्यक्रम में श्रोताओं ने सवाल-जवाब के माध्यम से प्रफुल केतकर जी से अपने सवालों का जवाब लिया। यह आयोजन केवल नारद जी को स्मरण करने का नहीं, बल्कि मूल्यनिष्ठ और उत्तरदायी पत्रकारिता की पुनर्परिभाषा का सशक्त प्रयास सिद्ध हुआ।
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