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नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च करेगा। भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन 15 जुलाई को जीएसएलवी-एमके-3 के क्रायोजेनिक इंजन की हीलियम बॉटल में लीक के कारण रोकना पड़ा था।
यान के प्रक्षेपण से केवल 56 मिनट पहले इसे रोकना पड़ा। यदि सब कुछ ठीक रहता तो यान अपने निर्धारित समय 2.51 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाता। इसरो ने आधिकारिक तौर पर जीएसएलवी-एमके-3 में आई तकनीकी खामी की पुष्टि की थी। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा था कि इंजन में लिक्विड ऑक्सीजन (ऑक्सीडाइजर) और लिक्विड हाइड्रोजन (ईंधन) भरने के बाद हीलियम को भरने का काम हो रहा था। प्रक्रिया 350 बार तक हीलियम की बोतल पर दवाब डालने की थी और आउटपुट को 50 बार पर सेट करना था। हीलियम भरने के बाद हमने पाया कि दबाव तेजी से कम हो रहा था। जिससे लीक का संकेत मिला। टीम ने गैस बॉटल में हुए असल लीक के स्थान का पता लगाया और उसकी खामी को दूर किया।
ये कोई एक दिन की यात्रा नहीं है, बल्कि इसमें कई दिनों का समय लग जाता है। धरती और चंद्रमा की औसत दूरी 3 लाख 84 हजार किमी है। अपोलो के अंतरिक्षयात्रियों को 1960 और 1970 के दशक में चांद पर पहुंचने में तीन दिनों का वक्त लगा था।
क्या है चंद्रयान-2 मिशन?
ये भारत का चंद्रमा मिशन है, जिसमें यान को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा।
– अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा।
– इससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा।
– लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगी और अगले 14 दिन तक यह डाटा जुटाएगा।
– चंद्रयान-2 के जरिए इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है। इस जोखिम से वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को लाभ होगा।
– चंद्रयान छह या सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। ऐसा होते ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
– चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई भी देश नहीं जा सका है लेकिन अब यहां भारत अपने चंद्रयान- 2 को उतारकर इतिहास रचने जा रहा है।
– चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की किरणें सीधी नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इसलिए, यहां का तापमान बहुत कम होता है।]]>
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