Shardiya Navratri 2022 : लहसुन और प्याज को न खाने को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कथा के अनुसार, स्वरभानु नाम का दैत्य था, जिसने समुद्र मंथन के बाद देवताओं के बीच बैठकर छल से अमृत पी लिया था। ये बात जब मोहिनी रूप धारण किए भगवान विष्णु को पता चली, तो उन्होंने अपने चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। स्वरभानु के सिर और धड़ को ही राहु और केतु कहा जाता है।
कहा जाता है कि सिर कटने के बाद स्वरभानु के सिर और धड़ से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर गिरीं, जिनसे लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। चूंकि, लहसुन और प्याज की उत्पत्ति अमृत की बूंदों से हुई है, इसलिए रोगों को दूर करने में ये दोनों ही कारगर साबित होते हैं। लेकिन इनकी उत्पत्ति राक्षस के मुंह से हुई, इसलिए इसे अपवित्र माना गया है। यही वजह है कि पूजा में भी कभी भगवान को लहसुन और प्याज का भोग नहीं लगाया जाता है।
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