
जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट)- Sardar Christians : पंजाब में धर्मांतरण का जाल बढ़ता जा रहा है। खासताैर पर सिख समुदाय के काफी लोग धीरे-धीरे इसाइयत की तरफ मुख करने लगे हैं। गांवों में तो कुछ पादरी भी पगड़ीधारी सामने आने लगे हैं। अगर इस काले जाल को न रोका गया तो पंजाबियत का दम इस जाल में घुट जाएगा। 14 साल पहले हुई जनगणना में पंजाब में सिख आबादी लगभग 57 फीसदी थी, हिंदू 38.5 प्रतिशत, वहीं क्रिश्चियन समुदाय डेढ़ फीसदी से भी कम था। अब ईसाई धर्म को मानने वाले 15 फीसदी से ऊपर जा चुके।

खास बात ये है कि इन नए-नकोरों ने दस्तावेजों पर फिलहाल कुछ नहीं बदला। अब कथित तौर पर सिख धर्म छोड़कर बड़ी आबादी पेंटेकोस्टल चर्चों और मिनिस्ट्रीज से जुड़ चुकी है। पंजाब में कई मिनिस्ट्रीज बन चुकीं, जिसके लीडर खुद सिख हैं। उनके मानने वाले लाखों में हैं। 24 घंटे प्रेयर हॉटलाइन चलती है जो वाकई में अस्पताल की इमरजेंसी जितनी तेज है। धर्म परिवर्तन के इस बढ़ते चलन से पंजाब में सामाजिक और धार्मिक संतुलन बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है। यह न केवल धार्मिक पहचान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा असर डाल रहा है। गरीब और वंचित परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है।

Sardar Christians : तकरीबन एक साल पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने आदेश दिया था कि जो लोग अपना धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, वे अपने नाम के पीछे सिंह या कौर का इस्तेमाल न करें, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। लोग सिंह या कौर तो नहीं हटाते, लेकिन साथ ही मसीह जोड़ देते हैं। जिसके चलते सरकार के लिए सही आंकड़ा निकाल पाना मुश्किल है।

आज से तीन साल पहले 2022 में इंडिया टुडे ने इन सब पर एक खास रिपोर्ट छापी थी जिसे आप इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं।
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