
कछार (असम) Punishment for rape : कछार की विशेष पॉक्सो अदालत (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश, POCSO) ने 20 वर्षीय अनमुल हक़ लश्कर को 14 वर्षीय नाबालिग आदिवासी लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराते हुए 20 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने यह फैसला 13 अक्टूबर 2025 को सुनाया।
अनमुल हक़ लश्कर, जो उधरबंद थाना क्षेत्र के दुमुरघाट इलाके का निवासी है, पर यह आरोप था कि उसने 7 जून 2024 की रात चन्नीघाट टी गार्डन क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया।
जाने क्या है पूरा मामला
Punishment for Rape : अदालती रिकॉर्ड्स के अनुसार, घटना रात करीब 8 बजे की है जब पीड़िता अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी। इस दौरान आरोपी ने मौका पाकर लड़की को घर से अगवा कर लिया। लड़की के पिता घर से बाहर थे और मां रसोई में व्यस्त थी।
पीड़िता की मां ने रातभर तलाश करने के बाद अगले दिन उधरबंद थाने में एफआईआर दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि लश्कर लड़की को एक ऑटो में बैठाकर अरुणाबंद टी एस्टेट के पास एक सुनसान इलाके में ले गया, जहां उसने उसके साथ दो बार शारीरिक शोषण किया। रातभर दोनों ऑटो में ही रहे और अगली सुबह आरोपी ने लड़की को उसके घर के पास छोड़कर फरार हो गया।
पीड़िता के बयान में यह भी बताया गया कि उसकी आरोपी से पहले से पहचान थी, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह विवाहित है। अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि नाबालिग की सहमति कानूनन मान्य नहीं होती, और मामले को POCSO अधिनियम के तहत ही चलाया गया।
शुरुआती जांच में एक पड़ोसी सलीम उद्दीन और उसकी पत्नी की भूमिका का भी जिक्र आया था, जिन्होंने कथित तौर पर लड़की को बहला-फुसलाकर आरोपी के हवाले किया। हालांकि अंतिम चार्जशीट में केवल अनमुल हक़ लश्कर को आरोपी बनाया गया।
Punishment for rape : अदालत का फैसला
कछार कोर्ट ने अनमुल हक़ लश्कर को दोषी पाते हुए निम्न सजाएँ सुनाईं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) के तहत 3 साल कैद और ₹5,000 का जुर्माना।
POCSO अधिनियम की धारा 4 (दुष्कर्म) के तहत 20 साल की कठोर कारावास की सजा और ₹20,000 का जुर्माना।
अदालत ने आदेश दिया कि दोनों सजाएँ साथ-साथ चलेंगी, यानी आरोपी को कुल 20 साल की सजा भुगतनी होगी। जुर्माने की राशि अदा न करने पर उसे अतिरिक्त एक माह और छह माह की कैद काटनी होगी।
Punishment for rape : यह फैसला एक बार फिर अदालत के उस दृढ़ रुख को दर्शाता है जिसमें बाल यौन अपराधों के मामलों में कठोर दंड के माध्यम से समाज में सशक्त निवारक संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है।
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