नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): हर साल सर्दियों से पहले पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के खेतों में पराली जलाने से इन राज्यों सहित राजधानी दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण की समस्या का निराकरण करने की हर साल कोशिशें होती हैं. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले में दखल दिया है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए एक मॉनिटरिंग टीम का गठन किया है. यह एक सदस्यीय समिति है. मॉनिटरिंग के लिए रिटायर्ड जस्टिस मदन बी. लोकुर को चुना गया है. इन तीनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी जस्टिस लोकुर को सहयोग करेंगे. इसमें NCC/NSS और भारत स्काउट/गाइड के लोग भी सहयोग करेंगे. यह कमेटी फिजिकल सर्वे करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारें इस कमेटी को उचित सुविधा मुहैया कराएंगी. सचिवालय सुरक्षा और वित्तीय सुविधाएं मुहैया कराएंगे. कमेटी 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इस मामले में अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी.
सुनवाई खत्म होने के बाद सॉलिसिटर जनरल ने.जस्टिस लोकुर की नियुक्ति पर एतराज जताया और कहा कि ‘हमारी कुछ आपत्ति है हम अप्लीकेशन फाइल करेंगे.’ सॉलिसिटर जनरल ने आदेश जारी करने से पहले उन्हे सुने जाने की मांग की. हालांकि, कोर्ट ने सॉलिसिटर की मांग ठुकरा दी.
बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने मांग रखी थी कि पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर को पराली जलाने में नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट नियुक्त करे. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना था कि EPCA को इस मामले में जिम्मेदारी सौंपी गई है और एमिकस क्यूरी पहले से नियुक्त हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि फिलहाल पश्चिमी यूपी में पराली जलाने कि गतिविधि रोकने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं, पंजाब सरकार ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का कारण वो नहीं है. पंजाब ने कहा कि वो अदालत के हरेक निर्देश का पूरी तरह से पालन कर रहा है,
हालांकि, पराली रोकने को लेकर पंजाब सरकार के बनाए गए ऐप पर याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से ऐप के जरिए पराली जलाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती. फील्ड मॉनिटरिंग जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सहमति जताई. कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार के वकीलों से पूछा कि ‘क्या उनके पास NCC कैडेट्स की पर्याप्त मात्रा है जो पराली की समस्या को लेकर जागरूकता फैलाने और किसानों के यहां जाकर पराली न जलाए जाने की अपील कर सकते हैं?’ कोर्ट ने कहा कि ‘हमारी चिंता ये है कि दिल्ली एनसीआर के लोगों को साफ हवा मिले और पराली इसमें बाधा ना बने.’