नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): लोहड़ी (Lohri) उत्तर भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार है. लेकिन खासतौर पर पंजाब में यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल लोहड़ी (Lohri 2021) का पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन सभी अपने घरों और चौराहों के बाहर लोहड़ी (Lohri) जलाते हैं. आग का घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाते हुए रेवड़ी, मूंगफली और लावा खाते हैं. लोहड़ी (Lohri) का त्योहार शरद ऋतु के अंत में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी (Lohri) के दिन साल की सबसे लंबी अंतिम रात होती है और अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है. कहा जाता है कि लोहड़ी (Lohri) के समय किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं और रबी की फसल कटकर आती है. नई फसल के आने की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले लोहड़ी (Lohri) का जश्न मनाया जाता है.
कहां से आया लोहड़ी शब्द?
लोहड़ी (Lohri) शब्द को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. कई लोग मानते हैं कि लोहड़ी (Lohri) शब्द ‘लोई (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था, लेकिन कई लोग इसे तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ मानते हैं, जो बाद में लोहड़ी (Lohri) हो गया. वहीं, कुछ लोग यह मानते है कि यह शब्द लोह’ से उत्पन्न हुआ था, जो चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण है.
आग का क्या है महत्व?
लोहड़ी (Lohri) के दिन आग जलाने को लेकर माना जाता है कि यह आग्नि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया और इसमें अपने दामाद शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया. इस बात से निराश होकर सती अपने पिता के पास जवाब लेने गईं कि उन्होंने शिव जी को यज्ञ में निमंत्रित क्यों नहीं भेजा. इस बात पर राजा दक्ष ने सती और भगवान शिव की बहुत निंदा की. सती बहुत रोईं, उनसे अपने पति का अपमान नहीं देखा गया और उन्होंने उसी यज्ञ में खुद को भस्म कर दिया. सती के मृत्यु का समाचार सुन खुद भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा यज्ञ का विध्वंस करा दिया. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह आग पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए जलाई जाती है.
लोहड़ी कैसे मनाई जाती है?
लोहड़ी (Lohri) के लिए कई दिनों पहले से ही लकड़ियां इकट्ठा की जाती हैं. पंजाब में तो बच्चे लोक गीत गाते हुए घर-घर जाकर लोहड़ी (Lohri) के लिए लकड़ियां जुटाते हैं. इन लकड़ियों को किसी खुले और बड़े स्थान पर रखा जाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग वहां इकट्ठा हों और सबके साथ त्योहार मना सकें. लोहड़ी (Lohri) की रात सभी लोग लकड़ियों के इस झुंड के चारों ओर इकट्ठा होते हैं फिर पारंपरिक तौर-तरीकों से आग लगाई जाती है. इस अग्नि के चारों ओर लोग नाचते-गाते हुए उसमें मूंगफली, गजक, पॉपकॉर्न, मक्का और रेवड़ी की आहुति देते हैं. इस दौरान पारंपरिक लोक गीतों को गाया जाता है.
पंजाब में लोग लोकनृत्य भांगड़ा और गिद्धा करते हैं. इस दिन विवाहित बेटियों को आग्रह और प्रेम के साथ घर बुलाया जाता है. उन्हें आदर व सत्कार के साथ भोजन कराया जाता है और कपड़े व उपहार भेंट किए जाते हैं. पंजाबी परिवार में किसी नवजात बच्चे और नवविवाहित जोड़े की पहली लोहड़ी (Lohri) बेहद खास होती है. ऐसे घर में लोहड़ी (Lohri) के मौके पर पार्टी दी जाती है और दूर-दूर से रिश्तेदारों व करीबियों को आमंत्रित किया जाता है. पंजाब के लोग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बसे हुए हैं. यही वजह है कि दुनिया के कई हिस्सों विशेषकर कनाडा में भी लोहड़ी (Lohri) धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.