Captain Amrinder Singh Ministers Raised Voice Against Akali Dal Supremo Sukhbir Badal
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अकाली दल और बादल परिवार ने सारी उम्र राज्य के अधिकारों और खुद को किसान हितैषी होने के दावों के साथ राजनीतिक रोटियां सेकी हैं। छह साल से मोदी सरकार में जबसे हरसिमरत बादल केंद्रीय मंत्री बनी हैं, तबसे अकाली दल ने भाजपा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। यह पहला मौका नहीं जब अकालियों ने भाजपा के पंजाब विरोधी फैसले की हिमायत की है।
इससे पहले जब एनडीए सरकार अल्पसंख्यक विरोधी कानून सीएए लाई तो अकालियों ने उसके हक में वोट डाली थी। श्री दरबार साहिब अमृतसर समेत गुरुद्वारों के लंगर पर जीएसटी लगाने का फैसला भी अकाली दल-भाजपा की तकड़ी में तुला। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने वाले भाजपा नेताओं के बयान पर भी अकालियों के मुंह बंद रहे।
अब तो हद ही हो गई जब भाजपा सरकार ने किसान विरोधी अध्यादेश लाया तो अकाली दल इसकी हिमायत पर उतर आया। मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने सूबे के किसानों की आवाज बनकर इन अध्यादेशों का विरोध किया तो सुखबीर बादल भाजपा के पक्ष में खड़े हो गए।
सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी कहलाने वाले अकाली दल के प्रधान तो यूपी में भाजपा सरकार द्वारा सिख किसानों को उजाड़े जाने की रिपोर्टों पर भी चुप हो गए। कांग्रेसी मंत्रियों ने किसान विरोधी अध्यादेश के हक में स्टैंड लेने के लिए सुखबीर बादल को पंजाबियों से माफी मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि पहले भी गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा सिख किसानों के विरुद्ध लिए गए फैसलों पर अकाली दल मूकदर्शक बना रहा था।
एक साझे प्रेस बयान में कैबिनेट मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, गुरप्रीत सिंह कांगड़, सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया और बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्र के किसान विरोधी अध्यादेशों की हिमायत करके सुखबीर बादल ने सिद्ध कर दिया है कि उन्होंने हरसिमरत बादल की केंद्रीय वजीरी के लिए अपनी विचारधारा को ही भाजपा के पास गिरवी रख दिया है।
अकाली दल और बादल परिवार ने सारी उम्र राज्य के अधिकारों और खुद को किसान हितैषी होने के दावों के साथ राजनीतिक रोटियां सेकी हैं। छह साल से मोदी सरकार में जबसे हरसिमरत बादल केंद्रीय मंत्री बनी हैं, तबसे अकाली दल ने भाजपा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। यह पहला मौका नहीं जब अकालियों ने भाजपा के पंजाब विरोधी फैसले की हिमायत की है।
इससे पहले जब एनडीए सरकार अल्पसंख्यक विरोधी कानून सीएए लाई तो अकालियों ने उसके हक में वोट डाली थी। श्री दरबार साहिब अमृतसर समेत गुरुद्वारों के लंगर पर जीएसटी लगाने का फैसला भी अकाली दल-भाजपा की तकड़ी में तुला। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने वाले भाजपा नेताओं के बयान पर भी अकालियों के मुंह बंद रहे।
अब तो हद ही हो गई जब भाजपा सरकार ने किसान विरोधी अध्यादेश लाया तो अकाली दल इसकी हिमायत पर उतर आया। मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने सूबे के किसानों की आवाज बनकर इन अध्यादेशों का विरोध किया तो सुखबीर बादल भाजपा के पक्ष में खड़े हो गए।
सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी कहलाने वाले अकाली दल के प्रधान तो यूपी में भाजपा सरकार द्वारा सिख किसानों को उजाड़े जाने की रिपोर्टों पर भी चुप हो गए। कांग्रेसी मंत्रियों ने किसान विरोधी अध्यादेश के हक में स्टैंड लेने के लिए सुखबीर बादल को पंजाबियों से माफी मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि पहले भी गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा सिख किसानों के विरुद्ध लिए गए फैसलों पर अकाली दल मूकदर्शक बना रहा था।