नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट): अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस (International Migrants Day) हर साल 18 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस बात के लिए शिक्षित करना है कि हर प्रवासी का सम्मान के साथ व्यवहार करना मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है. यह दिन अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का लक्ष्य रखता है.
प्रवासी कौन हैं?
किसी भी देश का नागरिक जब काम की तलाश में अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में जाकर बस जाता है, तो उसे प्रवासी कहा जाता है. जैसे – यदि कोई भारतीय नागरिक अमेरिका, सऊदी या किसी और देश में जाकर वहां बस जाता है तो प्रवासी भारतीय कहा जाता है. अमेरिका, चीन, रूस, जापान समेत कुछ ऐसे देश हैं, जहां बड़ी संख्या में दुनिया भर से आए प्रवासी बसते हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस का इतिहास
18 दिसंबर 1990 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सभी प्रवासी कामगारों के अधिकारों और उनके परिवारों के सदस्यों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को अपनाया. 4 दिसंबर 2000 को, UNGA ने दुनिया में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को मान्यता दी और 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में नामित किया. सितंबर 2016 में, UNGA ने शरणार्थियों और प्रवासियों के बड़े आंदोलनों को संबोधित करने के लिए एक उच्च-स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. शिखर सम्मेलन में अधिक मानवीय और समन्वित दृष्टिकोण के साथ देशों को एक साथ लाने का लक्ष्य था.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
-अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों या उनके जन्म के देश के अलावा किसी अन्य देश में रहने वाले लोगों की संख्या 2019 में 272 मिलियन तक पहुंच गई थी.
-महिला प्रवासियों की कुल संख्या का 48 प्रतिशत है.
-अनुमानित उनमें से 38 मिलियन बच्चे हैं.
-चार अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में से तीन कामकाजी उम्र यानी 20 से 64 के बीच के हैं,
-दुनिया भर में लगभग 31 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय प्रवासी एशिया में, यूरोप में 30 प्रतिशत, अमेरिका में 26 प्रतिशत, अफ्रीका में 10 प्रतिशत और ओशिनिया में 3 प्रतिशत हैं.
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