
मैसूर, 17 सितंबर, 2025 (वीकैंड रिपोर्ट) Illegal Dargah Construction disputes : मैसूर शहर में मध्वाचार्य रोड पर एक नई दरगाह के निर्माण को लेकर एक बड़ा राजनीतिक और सांप्रदायिक विवाद खड़ा हो गया है। मैसूर सिटी कॉर्पोरेशन (MCC) द्वारा जारी एक सार्वजनिक नोटिस के बाद से यह मामला गर्माया हुआ है।
MCC ने ‘दादा हयात मीर खलंदर दरगाह’ के निर्माण के प्रस्ताव के लिए स्थानीय लोगों से आपत्तियां आमंत्रित की हैं। जोकि 2009 के कर्नाटक सरकार के निर्देशों का खंडन करता है जिसमे किसी भी नए धार्मिक ढांचे के निर्माण पर रोक लगाई गई है।
Illegal Dargah Construction dispute : इस बारे में कृष्णराजा विधायक टी.एस. श्रीवत्स ने एमसीसी कमिश्नर पर जल्दबाजी में कदम उठाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दरगाह का निर्माण 101 गणपति मंदिर (अग्रहारा) के पास करवाने के लिए नोटिस प्रकाशित किया गया और यह निर्णय स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बिना परामर्श के लिया गया, जो मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
श्रीवत्स ने स्थल का निरीक्षण करने के बाद मीडिया से बात की। इस दौरान उनके साथ कई भाजपा नेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व विधायक और भाजपा शहर अध्यक्ष एल. नागेंद्र, पूर्व मेयर शिवकुमार, पूर्व जेडएके अध्यक्ष शिवकुमार, पूर्व पार्षद सौम्या उमेश और एम.यू. सुब्बैया, भाजपा मंडल अध्यक्ष गोपालराज उर्स, भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष राकेश गौड़ा और अन्य पदाधिकारी शामिल थे।
श्रीवत्स ने MCC की आलोचना करते हुए कहा कि नोटिस जारी करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई। उन्होंने बताया कि उक्त स्थान पर कोई सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया, जबकि सामान्य प्रक्रिया के तहत ऐसा करना आवश्यक है। इसके बजाय, नोटिस स्थानीय अखबार में चुपचाप प्रकाशित कर दिया गया, संभवतः दशहरा त्योहार की तैयारियों के दौरान ध्यान भटकाने के लिए निगम द्वारा ऐसा किया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एमसीसी ने उस भूमि के लिए खाता (संपत्ति दस्तावेज) जारी कर दिया, जबकि वह भूमि पिछले छह दशकों से खाली पड़ी थी।
Illegal Dargah Construction disputes
आपको बता दें कि विवाद का मुख्य केंद्र उस भूमि का स्वामित्व है, जहाँ दरगाह बनाने का प्रस्ताव है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे संगठनों का दावा है कि यह जमीन मैसूर सिटी कॉर्पोरेशन और मज़राई (धर्मादा) विभाग की है, जो हिंदू धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करता है। उनका आरोप है कि यह जमीन एक सार्वजनिक उपयोग की है या फिर पास के हनुमान मंदिर से संबंधित है।
इसके अलावा, प्रस्तावित स्थान की संवेदनशीलता भी विवाद का एक बड़ा कारण है। यह स्थान नरसिंहस्वामी मंदिर के निकट है और इस सड़क का नाम 13वीं सदी के प्रसिद्ध हिंदू संत और दार्शनिक मध्वाचार्य के नाम पर रखा गया है।
इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस निर्माण का कड़ा विरोध जताया है और इसे ‘अतिक्रमण’ बताते हुए निर्माण रोके जाने की मांग की है।
अब सभी की नजर MCC पर टिकी है, जिसे इस भूमि के रिकॉर्ड की जाँच करनी है और फिर कोई अंतिम निर्णय लेना है। इस बीच, शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए प्रशासन ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
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