वीकैंड रिपोर्ट (प्रदीप वर्मा) : Punjab Towards Terrorism Again : पंजाब में कानून व्यवस्था का दिवाला निकल चुका हैऔर सरकार सुधार के नाम पर सिर्फ अधिकारीयों को इधर से उधर कर रही है। ऐसा लगता है कि पंजाब एक बार फिर से आतंकवाद के काले दौर की तरफ जा रहा है। आए दिन हो रही हत्याऐं कानून व्यवस्था का जनाजा निकाल रही हैं। आप सरकार आने के बाद से ही कानून व्यवस्था की स्थिती डावांडोल चल रही है। एक के बाद एक हो रहे कत्लों को भी रोकने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। ये सवाल मुह ताने खड़ा है कि आखिर इस सब के पीछे कौन है जो पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल में फिर से नफरत का जहर घोलने की कोशिश कर रहा है?
पंजाब के अमृतसर में शिव सेना नेता सुधीर सूरी की हत्या में फिर से ‘के-टू’ कनेक्शन सामने आया है। वो कनेक्शन जो लंबे समय से कभी कश्मीर तो कभी पंजाब में हिंदुस्तान का माहौल खराब करने की कोशिश करता रहा है। अब तक की तफ्तीश ये इशारा करती है कि सुधीर सूरी का कत्ल कोई निजी रंजिश का नतीजा नहीं, बल्कि पंजाब में चल रही नफरती टारगेट किलिंग का हिस्सा है। बात करें फरीदकोट में हुए सनसनीखेज मर्डर की, जिस शख्स का कत्ल हुआ और जिस तरह से कत्ल हुआ उसने पंजाब पुलिस को ही सवालों के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
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कत्ल की तस्वीरें सीसीटीवी के जरिए सामने भी आ चुकी हैं और अब तो ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस मर्डर से उठने वाले सवालों में ही पुलिस के रुतबे की असली तस्वीर छुपी हुई है। भले ही पंजाब में अधिकारियों में बदलाव तो हो रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर हालात पुराने सिस्टम से ही चल रहे हैं। पंजाब में खाकी के सख्त पहरे में हो रही हत्याओं ने पुलिस को कटघरे में खड़े कर दिया है। सुधीर सूरी हत्याकांड पुलिस पहरे में हो गया। एसीपी रैंक से लेकर एसएचओ व भारी पुलिस बल की मौजदूगी में हत्यारे ने सूरी को मार दिया, पर खाकी की तरफ से कोई क्रास फायरिंग नहीं की गई। वहीं एक सप्ताह के भीतर ही डेरा प्रेमी प्रदीप की पुलिस के पहरे में हत्या कर दी गई, जिससे पंजाब में दहशत का माहौल बन गया है।
Punjab Towards Terrorism Again : विदेशों के साथ-साथ जेलों में कैद गैंगस्टर खेल रहे हैं सारा खेल?
एक रिपोर्ट के मुतीबिक पिछले 6 महीने में पंजाब की जेलों से 3800 से ज्यादा मोबाईल फोन बरामद किए जा चुके हैं। यहां तक कि एक जेल सुपरिटैंडंट को भी कैदीयों को फोन उपल्बध करवाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। हत्या के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर जिम्मेदारी लेने मे अपनी शेखी बघारने वाले गैंगस्टर तक क्यो पहुंच नही पा रही है पुलिस।
हाई प्रोफाइल किलिंग रोकने में नाकाम पुलिस
पंजाब में जब भी कोई बड़ा अपराध होता है, तो उसके पीछे विदेश में बैठा किसी ना किसी गैंगस्टर या कट्टरपंथी का हाथ निकलता है। आरोपी इस बात को छुपाने या दबाने की कोशिश भी नहीं करते। वो खुद मीडिया या सोशल मीडिया के जरिए इस बात का प्रचार प्रसार करते हैं कि वो इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। इस कहानी को ऐसे समझा जा सकता है कि पंजाब में गैंगवार सिर्फ पैसे के लिए नहीं है, वहां कथित तौर पर धर्म का सबसे बड़ा पैरोकार बनने के लिए भी एक जद्दोजेहद चलती है। मसलन सिद्दू मूसेवाला धार्मिक प्रवृत्ति के थे, वो अक्सर गुरुद्वारे जाते थे। मत्था टेकते थे। धर्म का सम्मान करते थे। धर्म की बात भी करते थे। पंजाब के लोग उन्हें धार्मिक मानकर उनका और ज्यादा सम्मान करते थे।
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इसलिए जब उनकी हत्या के मामले में गोल्डी बराड़ का नाम आया तो उसके लिए ये बात परेशानी का सबब बन गई। उस पर एंटी सिख होने का तमगा लगने की आशंका बढ़ गई थी। लिहाजा उसने अपनी इमेज को बचाने के लिए डेरा प्रेमी प्रदीप का मर्डर करा दिया और फिर सोशल मीडिया पर उसकी जिम्मेदारी ले ली। गोल्डी बराड़ की तरफ से दावा किया गया कि उसने प्रदीप का मर्डर करके धार्मिक ग्रंथों की बे-अदबी का बदला ले लिया है। ऐसे मामलों में पुलिस के लिए परेशानी ये है कि गोल्डी और लक्की पटियाल जैसे गैंगस्टर विदेशों में बैठकर वारदात कराते हैं। इस काम के लिए वो अपने गुर्गों या किराए कातिलों का इस्तेमाल करते हैं और यही वजह है कि पुलिस उन तक पहुंच ही नहीं पाती।
Punjab Towards Terrorism Again : पंजाब पुलिस की बेबसी
सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर हाई प्रोफाइल किलिंग की जिम्मेदारी लेने के सवाल पर पंजाब पुलिस की तरफ से बताया गया था कि अक्सर संगीन अपराध के बाद अपना रुतबा और खौफ कायम करने के मकसद से कुछ लोग सोशल मीडिया पर इस तरह की जिम्मेदारी लेने वाली पोस्ट डालते हैं. लेकिन इनमें से 80 प्रतिशत पोस्ट फेक और अनकंफर्म्ड होती हैं। बाकी 20 फीसदी मामलों में की जाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट देश के बाहर से यानी विदेशों से शेयर की जाती हैं। जिनकी जांच और यूजर की धरपकड़ करना मुमकिन नहीं होता। पंजाब की बात करें तो ऐसे मामलों में अक्सर कनाडा और अन्य देशों में बैठकर अपराधी सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट लिखते हैं। यही वजह है कि ऐसे मामलों में पंजाब पुलिस अपनी मजबूरी जाहिर करती है। सिद्धू मूसेवाला हो या फिर शिव सेना नेता सुधीर सूरी इन सभी मामलों में अपराधियों ने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर कर जिम्मेदारी ली थी। मगर ऐसे ये दो इकलौते मामले नहीं है। इसके अलाव भी इस तरह की घटनाएं और पोस्ट पहले भी सामने आती रही हैं।
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