
जालंधर (ब्यूरो) : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान अपने प्राकृतिक रक्षण कार्यक्रम संरक्षण के माध्यम से धूमिल हो रहे मानव प्राकृतिक संबंध को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का कर्मक्षेत्र केवल अध्यातम तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका समाज कल्याण और वातावरण सुरक्षा हेतु भी विशेष योगदान है। संस्थान का मानना है कि प्रकृति और मानव जाति के बीच तब तक आत्मीयता नहीं पाई जा सकती जब तक मानव आंतरिक रूप से जागृत न हो जाए। अपनी इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध लोगों को जागरूक एवं उनका समर्थन जुटाने हेतु अर्थ आवर पर बिधीपुर में 6 से 7 बजे तक सभी लाइटस बन्द करके मोमबतियों की रोशनी में एक घंटा माँ पृथ्वी के लिए साधना की। कार्यक्रम की शुरूआत में साध्वी वत्सलाभारती जी ने लोगों को जलवायु परिवर्तन के कारण बताते हुए कहा कि कारखानों, वाहनों से निकलने वाला धुआं, तापमान का बढऩा, ग्लोबल र्वािर्मंग का होना आदि मुख्य रूप से हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं। जबकि वृक्ष हमारे लिए बहुत उपयोगी है लेकिन आज मनुष्य सब जानते हुए भी पेड़ों को अन्धाधुंध कटाई कर रहा है। और आज हम इनकी कटाई जितनी तेजी से कर रहे है उतनी तेजी से हम अपनी जड़े भी काट रहे है। उन्होंने कहा कि हम यह भूल जाते है कि हमारा जीवन इन पर निर्भर है, यदि यह कट गए तो हमारा जीवन कैसे जीवित रहेगा। वृक्षों के काटने के कारण वायुमण्डल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई यह प्रदूषण मनुष्य के लिए हानिकारक हो गया है। पर्वतों से बर्फ भी इसी कारण लगातार पिघल रही है जिस से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन को रोकना होगा – ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने होगें। बिजली की और पानी की बचत करनी होगी और प्रकृति से प्रेम करना होगा और हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम प्राकृतिक साधनों को बचाने में पूरा सहयोग देगें। उसके उपरान्त बच्चें द्वारा एक नाटक भी प्रस्तुत किया गया । जिसमें उन्होने हमारे प्रकृतिक संसाधनों को बचा कर रखने करे बारे में बताया ।



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