जालंधर (वीकैंड रिपोर्ट): हंस राज महिला महाविद्यालय, जालंधर में प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी के प्रोत्साहनात्मक दिशानिर्देशन अधीन संस्था के संस्कृत एवं हिन्दी विभाग की ओर से महात्मा हंसराज जी के निर्वाण दिवस को समर्पित तपोनिधि महात्मा हंसराज जी विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। समस्त कार्यक्रम का आयोजन डीन वैदिक स्टडीज़ श्रीमती ममता, संस्कृत विभागाध्यक्षा डा. मीनू तलवाड़ (कन्वीनर) एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति गोगिया (को-कन्वीनर) के संरक्षण में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था परम्परानुसार गायत्री मंत्र के जाप एवं डी.ए.वी. गान से किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी ने महात्मा हंसराज जी के प्रति अपने श्रद्धाभाव प्रस्तुत करते कहा कि आज के इस वेबिनार का विषय अत्याधिक समीचीन है क्योंकि हमारी संस्था गत 94 वर्षों से महात्मा हंसराज जी के दृष्टिकोण-नारी शिक्षण को लेकर प्रयासगत है। आधुनिक समय की आवश्यकतानुसार संस्था नारी शिक्षा के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण में भी कार्यरत है। उन्होंने कहा कि संस्था इस बात पर गौरव अनुभव करती है कि आज हमारी कई छात्राएं उन्नति के शिखर पर विराजमान हैं।
प्राचार्या जी ने प्रधान डीएवी प्रबन्धकत्र्री समिति नई दिल्ली पदमश्री अवार्डी डॉ. पूनम सूरी जी के प्रति सदैव प्रोत्साहन व मार्गदर्शन देने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस उपलक्ष्य में विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो. डा. आनन्दवर्धन (सोफिया विश्वविद्यालय, सोफिया बुल्गारिया) एवं डॉ. योगेश शर्मा (संस्कृत विभाग, पीजीडीएवी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे। प्रो. आनन्दवर्धन जी ने अपने-आप को संस्था से जुड़ऩे पर सौभाग्यशाली अनुभव किया एवं महात्मा हंसराज जी को नमन करते हुए उनके जीवन पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने कहा कि महात्मा हंसराज विश्वविख्यात महापुरुष हैं एवं समाज के प्रति उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने बताया कि उनकी विचारधारा को आत्मसात कर ही समाज एवं मानव जाति का कल्याण हो सकता है। डॉ. योगेश शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में महात्मा हंसराज जी के गरिमा मण्डित व्यक्तित्व से परिचित करवाया एवं कहा कि महात्मा जी त्याग, तपस्या एवं बलिदान के प्रतीक हैं। उनका आदर्शमयी जीवन आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत है।
समाज के प्रति उनका निस्वार्थ सेवाभाव चिरस्मरणीय है एवं सदैव रहेगा। इसी शृंखला में कार्यक्रम कन्वीनर संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ. मीनू तलवाड़ ने विषय-विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आर्य समाज एवं महात्मा हंसराज जी के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाने का संदेश दिया। समागम के अन्त में डीन वैदिक स्टडीज़ श्रीमती ममता जी ने डीएवी प्रबन्धकत्र्री समिति के प्रधान पदमश्री अवार्डी पूनम सूरी जी, प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन जी एवं प्रोग्राम कन्वीनर, को-कन्वीनर व विषय विशेषज्ञों के प्रति तहेदिल से आभार व्यक्त किया। मंच संचालन हिन्दी विभागाध्यक्षा डॉ. ज्योति गोगिया ने सफलतापूर्वक निभाया।
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