Laal Singh Chaddha Movie Review
कहानी
लाल सिंह चड्ढा (आमिर खान) ट्रेन में अपने सामने बैठी महिला से कहता है, “मेरी मम्मी कहती थी कि जिंदगी गोलगप्पे जैसी होंदी है, पेट भले ही भर जावे, मन नहीं भरता”। इसके साथ ही वो डिब्बे में रखे कुछ गोलगप्पे और मसालेदार पानी की एक बोतल निकालता है और उसके साथ ही अपने जीवन की यादों की पोटली को खोल देता है। सामने बैठी महिला पहले लाल की बातों में दिलचस्पी नहीं लेती है। लेकिन जैसे जैसे लाल की बातें बढ़ती हैं, सिर्फ वही नहीं बल्कि पूरे कंपार्टमेंट के लोग दिलचस्पी से उसके किस्से सुनने लगते हैं।
लाल की कहानी शुरु होती है उसकी मां (मोना सिंह) से, जो उसे हमेशा यही कहती थी कि वो कुछ भी कर सकता है। बुद्धि से कमजोर लाल पढ़ाई लिखाई में मुश्किल से आगे बढ़ पाया, लेकिन दौड़ने में चैंपियन था। स्कूल में उसकी सबसे पहली दोस्त बनी रूपा (करीना कपूर खान), जो उसके जीवन के हर अलग अलग पड़ांव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कहानी में है कई घटनाएं
लाल सिंह चड्ढा की कहानी उसके बचपन से शुरु होती है, फिर 1983 के वर्ल्ड कप से लेकर ऑपरेशन ब्लूस्टार, इंदिरा गांधी की हत्या, 1984 दंगा, बाबरी मस्जिद, मुंबई धमाके, मिस यूनिवर्स में सुष्मिता सेन की जीत, कारगिल वॉर, 26/11 मुंबई हमला, अन्ना हजारे के आंदोलन और नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान तक पहुंचती है। इस सफर के अलग अलग पड़ांव में लाल सिंह चड्ढा के कुछ खास रिश्ते बनते हैं। रूपा के अलावा, सेना में उसकी दोस्ती होती है कि बालाराजू (नागा चैतन्य) से और फिर वॉर के दौरान उसका सामना होता है मोहम्मद (मानव विज) से.. ये रिश्ते लाल की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं।
अभिनय
लाल सिंह चड्ढा के किरदार में आमिर खान में एक खास तरह का भोलापन लाते हैं। पहली दृश्य से ही इस किरदार के साथ आपका एक जुड़ाव हो जाता है, जो फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है। ये पूरी फिल्म लाल सिंह चड्ढा और उसके अलग अलग रिश्तों के इर्द गिर्द ही घूमती है, लिहाजा आमिर के पास इमोशनल लेवल पर अपने अभिनय से दिल जीतने का काफी मौका था। अभिनेता कुछ हद तक सफल भी रहे हैं, लेकिन भोलापन दिखाने के लिए चेहरे पर लाए एक खास एक्सप्रेशन की वजह से कनेक्शन खो देते हैं। उनका पंजाबी उच्चारण और भाषा पैटर्न कई जगहों पर फिसला है।
रूपा के किरदार में करीना कपूर खान ने अच्छा काम किया है। लाल के साथ रूपा का रिश्ता हो या उसकी जिंदगी की अपनी त्रासदी भरे पल.. करीना ने हर भाव को सटीक पकड़ा है। साउथ के सुपरस्टार नागा चैतन्य की यह पहली बॉलीवुड है, जहां वो लाल के दोस्त बाला के किरदार में हैं। सच कहा जाए तो डेब्यू के हिसाब से ये किरदार नागा चैतन्य के लिए काफी कमजोर रहा। निर्देशक कम से कम उन्हें कुछ दमदार संवाद दे सकते थे। बहरहाल, लाल सिंह चड्ढा की मां के रूप में मोना सिंह फिल्म को भावनात्मक ऊंचाई देती हैं। मानव विज अपनी भूमिका में प्रभावी हैं।
निर्देशन
Laal Singh Chaddha Movie Review “सीक्रेट सुपरस्टार” के बाद अद्वैत चंदन की दूसरी निर्देशित फिल्म है “लाल सिंह चड्ढा”, जो हॉलीवुड फ्लिक फॉरेस्ट गंप की आधिकारिक रीमेक है। लेखक अतुल कुलकर्णी ने भारतीय इतिहास और संस्कृति से कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को जोड़कर इसे देसी दर्शकों के लिए खूबसूरती से अनुकूलित किया है। फिल्म में 1983 में भारत के क्रिकेट विश्व कप जीतने से लेकर, ऑपरेशन ब्लूस्टार, इंदिरा गांधी की हत्या, 1984 दंगा, बाबरी मस्जिद, मुंबई धमाके, कारगिल वॉर, 26/11 मुंबई हमला, अन्ना हजारे के आंदोलन और नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान तक.. सब घटनाएं शामिल की गई हैं।
आसान नहीं था निर्देशन
अद्वेत चंदन के लिए इस फिल्म का निर्देशन आसान नहीं रहा होगा। लेकिन लाल ने किस तरह बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान को अपनी सिग्नेचर डांसिंग स्टाइल सिखाई और अपने दोस्त बलराजू की याद में ‘रूपा’ इनरवियर का आइडिया दिया, उन्होंने कहानी में इन सबटेक्स्ट को बड़ी बारीकी से पिरोया है। फिल्म जहां डगमगाती है, वो है भावनात्मक पक्ष। एक के बाद एक इतनी घटनाएं घटती हैं कि लाल की कहानी से आप इमोशनल स्तर पर जुड़ ही नहीं पाते हैं। वहीं, कहानी की धीमी गति कई बार आपके धैर्य की परीक्षा लेती है।
तकनीकी पक्ष
Laal Singh Chaddha Movie Review तकनीकी स्तर पर फिल्म काफी बढ़िया है। पंजाब के सरसों के खेत हों, दिल्ली का इंडिया गेट या कन्याकुमारी में समुंद्र का किनारा.. सिनेमेटोग्राफर सत्यजीत पांडे पूरे भारत को बड़ी खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद करते हैं। लाल के जीवन में विभिन्न परिदृश्यों को उन्होंने बखूबी दिखाया है। हेमंती सरकार की एडिटिंग और अधिक चुस्त रखने की जरूरत थी। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी लंबाई है, जो कई बार ऊबाती है.. इसे एडिटिंग टेबल पर संभाला जा सकता था।
संगीत
फिल्म का स्कोर तनुज टीकू द्वारा रचित है, जबकि फिल्म में संगीत प्रीतम द्वारा दिया गया है और गाने लिखे हैं अमिताभ भट्टाचार्य ने। फिल्म के गाने अच्छे हैं और काफी समय तक दिमाग में ठहरे रहते हैं। सोनू निगम की आवाज में “मैं की करां” और अरिजीत सिंह द्वारा गाया गया “फिर ना ऐसी रात आएगी” काफी प्रभावी ढंग से फिल्म में शामिल किया गया है।
रेटिंग
हॉलीवुड की बहुचर्चित फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ की आधिकारिक रीमेक के तौर पर आमिर खान स्टारर ‘लाल सिंह चड्ढा’ निराश नहीं करती है। फिल्म के लेखन में कुछ कमियां हैं, लेकिन कलाकारों के परफॉर्मेंस उन कमियों को दबा देती है। फिल्मीबीट की ओर से ‘लाल सिंह चड्ढा’ को 3.5 स्टार दिए गए हैं ।
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