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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बताया कि कोरोना वैक्सीन की खोज में लगी दुनिया के बीच भारत की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की खोज के बाद इसके उत्पादन में भारत का अहम रोल रहनेवाला है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में हिस्सा लिया
यहां उन्होंने कोरोना वायरस और भारत की अर्थव्यवस्था पर बात की
मोदी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन की खोज और उत्पादन में भारत का अहम रोल रहेगा
मोदी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक निवेशकों का स्वागत करती है
नई दिल्ली (वीकैंड रिपोर्ट) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बताया कि कोरोना वैक्सीन की खोज में लगी दुनिया के बीच भारत की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की खोज के बाद इसके उत्पादन में भारत का अहम रोल रहनेवाला है। मोदी ने कहा कि आज हमारी कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर मदद कर रही हैं।
पीएम मोदी ने यह बात इंडिया ग्लोबल वीक 2020 में कही। पीएम मोदी ने आगे भारत की अर्थव्यवस्था पर बात की। वह बोले कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, हम वैश्विक निवेशकों का स्वागत कर रहे हैं।
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साल 2020 आधा निकल चुका है, हर बीतते दिन के साथ लोग यह जानने को बेताब हैं कि 5 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस की वैक्सीन या दवा आखिर कब बनेगी। भारत की बात करें तो अलग-अलग कंपनियों कि दो वैक्सीन पर सबकि निगाहें हैं। लेकिन क्या ये मार्केट में इस साल ही आ जाएंगी? इस पर कभी हां, कभी ना का दौर जारी है। पहली वैक्सीन का नाम है कोवेक्सिन। इसे भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर तैयार किया है। लेकिन यह बाजार में इस साल आएगी या अगले साल इसपर कुछ साफ नहीं है। दरअसल ICMR चाहता है कि दवा 15 अगस्त को लॉन्च हो जाए। दूसरी तरफ अभी इसके ट्रायल ही पूरे नहीं हैं। अब इंडियन अकेडमी ऑफ सांइस के टॉप साइंटिस्ट्स ने भी यही कहा कि ऐसा होना मुमकिन नहीं। वैज्ञानिक मानते हैं कि जल्दबाजी यहां भयंकर नतीजों को दावत देने जैसे होंगे।दूसरी वैक्सीसन का नाम है जाइकोव-डी। इसे गुजरात की कंपनी जाइडस कैडिला ने बनाया है। इसे भी कोवेक्सिन की तरह ट्रायल की मंजूरी मिली है। लेकिन ट्रायल कबतक पूरे होंगे यह कहा नहीं जा सकता।
पीएम मोदी ने कहा, ‘एक तरफ भारत जहां वैश्विक महामारी का डट कर मुकाबला कर रहा है, वहीं इसके समानांतर लोगों की सेहत की चिंता करते हुए हम अर्थव्यवस्था की सेहत पर भी अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।’कोरोना संक्रमण काल के दौरान अर्थव्वस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए गए सरकार के कदमों की विस्तृत जानकारी देते हुए मोदी ने वैश्विक समुदाय से भारत में निवेश करने की भी अपील की। उन्होंने कहा, ‘भारत आज भी विश्व की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाआं में एक है। हम विश्व की सभी कपंनियों के लिए रेड कार्पेट बिछा रहे हैं ताकि वे भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। बहुत कम देश ऐसे अवसर प्रदान करते हैं, जो भारत आज प्रदान कर रहा है।’
कोरोना: दुनिया में सबसे आगे हैं ये तीन वैक्सीनइस कोरोना काल में दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं। इस बीच खुशखबरी ये है कि दुनिया की तीन वैक्सीन ऐसी हैं तो ट्रायल के तीसरे या उससे आगे के दौर में हैं। इनमें AstraZeneca-University of Oxford, Sinovac Biotech और Sinopharm की वैक्सीन शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दवाओं की लागत कम करने में भारत की भूमिका का हवाला देते हुए कहा, देश का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक पूंजी है। आगे आत्मनिर्भर भारत पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि इसका अर्थ आत्मकेंद्रित होना या दुनिया से खुद को बंद कर लेना नहीं है, यह आत्मनिर्भर होने, आत्मोत्पादन करने के बारे में है। मोदी ने आगे कहा कि भारत वैश्विक भलाई, समृद्धि के लिए जो कुछ भी कर सकता है, करने के लिए तैयार है।
ऐंटी-कोविड दवाएं बनेंगी जीवनरक्षक!
विलियम के मुताबिक, कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए ऐंटी-कोविड दवाएं डेवलप हो सकती हैं। इनसे न सिर्फ मरीजों का इलाज हो सकेगा, बल्कि ये नए लोगों को बीमारी से भी बचाएंगी। दुनियाभर में जिन ड्रग्स पर रिसर्च चल रहा है, उनमें से दो ने उम्मीद जगाई है।
ऐंटीवायरल ड्रग्स ने SARS-CoV-2 पर असर दिखाया है और उसे उसकी कॉपी बनाने से रोक रही हैं। ऐंटीवायरल दवाएं आमतौर पर उन एंजाइम्स को टारगेट करती हैं जिनकी मदद से वायरस अपना जीनोम कॉपी करता है। कोरोना एक प्रोटीन का इस्तेमाल अपनी कॉपीज बनाने के लिए करता है। पिछले महीने साइंस मैगजीन में छपी एक रिसर्च में दो ऐसे ड्रग्स की खोज का ऐलान किया गया था जो SARS-CoV-2 प्रोटीन को कंट्रोल करते हैं। अभी इंसानों पर इसका टेस्ट नहीं हुआ है मगर कुत्तों और चूहों पर टेस्ट में दवा प्रभावी भी रही है और नॉन-टॉक्सिक भी।
दूसरी तरह के ड्रग जो कोरोना पर असरदार साबित हो रहे हैं, वे हैं मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडीज। ये लैब में तैयार की गईं वे ऐंटीबॉडीज हैं जो SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को हमारे शरीर के सेल रिसेप्टर्स से अटैच होने से रोक देती हैं। ऐसा कर ये ऐंटीबॉडीज इन्फेक्शन की संभावना को ही खत्म कर देती हैं। जून में छपी एक रिसर्च में दो ऐंटीबॉडीज की पहचान की गई थी। यह दोनों अलग-अलग भी असरदार हैं मगर इनका कॉम्बिनेशन कोरोना पर और कहर ढा सकता है।
अमेरिका में इसी हफ्ते ऐलान किया गया है कि डबल ऐंटीबॉडी कॉकटेल का 2,000 इंसानों पर टेस्ट किया जाएगा। इससे यह चेक किया जाएगा कि वे इन्फेक्शन रोकने और कोविड-19 की शुरुआती स्टेज वाले मरीजों को ठीक करने में कितनी कारगर हैं। ऐसी ऐंटीबॉडीज पहले भी उन वायरस पर असरदार साबित हुई हैं जो SARS-CoV-2 से मिलते-जुलते हैं।
कई वैक्सीन के शुरुआती नतीजे अच्छे रहे हैं मगर उनमें बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि जरा सी चूक पूरी मानव जाति के लिए भयंकर खतरा बन सकती है। वैसी ही सावधानी इन दवाओं की टेस्टिंग में भी बरतनी होगी। हालांकि वैक्सीन के मुकाबले इन दवाओं की टेस्टिंग बेहद कम समय में पूरी हो जाती है। ऐंटीवायरल और मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडीज का वायरस पर कैसा असर होता है, यह कुछ दिन में पता लगाया जा सकता है। अगर वैक्सीन बनाने में वक्त लगता है तो हम इन दवाओं का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं ताकि जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा है, उन्हें इन्फेक्शन से बचाया जा सके और बीमारों को ठीक किया जा सके।
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