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नेताओं ने कहा-किसानों की आवाज कुचलने की साजिश
चंडीगढ़ (वीकैंड रिपोर्ट) : सुखबीर बादल ने रात 10 बजे सड़क पर धरना देने का ऐलान किया और कहा कि जब तक राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद ही हटेंगे। इसके बाद सुखबीर बादल को भी हिरासत में ले लिया गया ।
किसान बिलों के विरोध में विरोध प्रदर्शन कर रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता गुरुवार देर रात जैसे ही चंडीगढ़ बॉर्डर पर पहुंचे,उनके और चंडीगढ़ पुलिस के बीच पंजाब की सीमा पर दो जगह झड़प हुई। पहले पुलिस ने अकाली नेता व कार्यकर्ताओं पर थोड़ा सा लाठीचार्ज किया। लेकिन जब स्थिति काबू में नहीं आई तो वाटर कैनन का भी इस्तेमाल कर लिया।
इसके बाद पुलिस ने मुल्लांपुर बॉर्डर पर सुखबीर सिंह बादल और जीरकपुर बॉर्डर पर हरसिमरत समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस दौरान केंद्रीय सुरक्षा बल भी तैनात था। बता दें कि गुरुवार अकाल तख्त, केशगढ़ साहिब और दमदमा साहिब से शुरू हुए अकाली दल के मार्च के चंडीगढ़ पहुंचने से पहले ही सुबह से चंडीगढ़ के बॉर्डरों पर चंडीगढ़ पुलिस को तैनात किया गया था ताकि कोई भी रोष प्रदर्शन करने वाला शहर में दाखिल न हो सके। यूटी पुलिस ने पंजाब पुलिस की मदद से शहर की सीमा सील कर दी थी।
जैसे ही ये मार्च शाम करीब पांच बजे पहुंचा तो जीरकपुर की तरफ हरसिमरत बादल की अगुवाई में पहुंचे मार्च को पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक दिया। काफी देर बहस चलती रही और अकाली दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चंडीगढ़ में घुसने की कोशिश की। पुलिस ने हरसिमरत और अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया। इसके बाद जब अकाली कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़े तो बल का प्रयोग करते हुए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा। सुखबीर बादल ने रात 10 बजे सड़क पर धरना देने का ऐलान किया और कहा कि जब तक राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद ही हटेंगे। इसके बाद सुखबीर बादल को भी हिरासत में ले लिया गया ।
बाद में रात 11 बजे सभी को रिहा कर दिया गया। बता दें कि चंडीगढ़ पुलिस ने अपनी भूमिका सिर्फ बड़े नेताओं को हिरासत में लेकर सेक्टर 17 थाने पहुंचाने तक और लाठीचार्ज और पानी की बौछारें मारने तक ही सीमित रखी।
इसके बाद थाने से बाहर आकर बिक्रम मजीठिया ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र के इशारे, पंजाब के राज्यपाल के हुकमों व पंजाब सरकार की मिलीभगत से ही उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया। बोले, हम पंजाब के राज्यपाल को मांग पत्र देना चाहते थे पर साजिश के तहत शांतिपूर्ण ढंग से दिए जा रहे धरने पर लाठीचार्ज किया गया।
वे बोले, ये एक साजिश थी और बेहद दुख की बात है कि किसानों की आवाज राज्यपाल तक पहुंचने नहीं दी और हमें गिरफ्तार कर किसानों की आवाज को कुचलने की कोशिश की गई।
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