
लेह (प्रदीप वर्मा) Who Is Sonam Wangchuk : शांत हिमालयी क्षेत्र की बादी लद्दाख पिछले कुछ दिनों से एक अशांत क्षेत्र में बदल गया है, जहाँ हिंसक प्रदर्शनों ने चारो ओर माहोल बिगाड़ रखा है। एक नज़र में देखें तो इन सब घटनाओं के केंद्र में स्वयंभू ‘पर्यावर्ण कार्यकर्ता’ सोनम वांगचुक नज़र आ रहे हैं।
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने लद्दाख की राजधानी लेह में भड़की हिंसा पर आधिकारिक बयान जारी किया है। मंत्रालय ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर आरोप लगाया है कि उन्होंने लोगों को उकसाकर हिंसा की स्थिति पैदा की। वांगचुक ने 10 सितंबर, 2025 को लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची का दर्जा और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एक बार फिर अपना ‘अनशन’ शुरू किया। हर रोज वह एक वीडियो पोस्ट करते, कभी-कभी केंद्र सरकार का मज़ाक उड़ाते और विवादित दावे करते देखे गए।
सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान वांगचुक ने अपना उपवास तोड़ा और एंबुलेंस से अपने गाँव लौट गए, लेकिन उन्होंने हालात काबू करने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की। गृह मंत्रालय ने दोहराया कि केंद्र सरकार लद्दाख की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें “पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा” देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह के पुराने या भड़काऊ वीडियो को मीडिया या सोशल मीडिया पर न फैलाएँ।
पहले भी किया था प्रदर्शन
Who Is Sonam Wangchuk : 2024 में भी उन्होंने ‘मृत्यु अनशन’ की बात कही थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने और उनके समर्थकों ने दिल्ली कूच का फैसला किया था ताकि सरकार को उनकी मांगों पर चर्चा फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया जा सके। वांगचुक की मुख्य मांग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना है, जो जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता और संरक्षण प्रदान करती है और वर्तमान में पूर्वोत्तर के चार राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम) में लागू है। वांगचुक का कहना है कि यह समावेशन क्षेत्र के संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए ज़रूरी है। हालाँकि, वांगचुक के पिछले रिकॉर्ड और उनके संबंध इस मांग के पीछे छिपी गंदी मंशा की ओर इशारा करते हैं जोकि लद्दाख जैसे रणनीतिक महत्व के क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया को रोकने की ओर इशारा करती है।
24 सितंबर, 2025 की घटना ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। आरोप है कि वांगचुक द्वारा भड़काए गए एक समूह ने उपद्रव किया और प्रदर्शन हिंसक हो गए। इन हिंसक घटनाओं में कांग्रेस का हाथ होने के भी आरोप लगे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने एक बयान जारी करके हिंसा के लिए सीधे तौर पर वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है, उनके भड़काऊ बयानों को कारण बताया है। बाद में वांगचुक ने इस हिंसा का दोष ‘जनरेशन जेड’ के प्रदर्शनकारियों और सरकार के खिलाफ उनके गुस्से पर मढ़ दिया। लेकिन सच्चाई यह है कि खुद को पर्यावर्ण प्रेमी करने वाले ने ही बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका की तरह प्रदर्शन करने के लिए उकसाते हुए भीड़ को भड़काया। इससे सोनम वांगचुक और उनके पीछे काम कर रही ताकतों का असली एजेंडा सामने आता है।
तो सवाल उठता है कि सोनम वांगचुक इतने प्रमुख कैसे हुए और वास्तव में वे किसके लिए काम कर रहे हैं ? आईए जानते हैं कि आखिर कौन हैं सोनम वांगचुक और क्या है उनके पीछे का सच ।
Who Is Sonam Wangchuk : कौन हैं सोनम वांगचुक ?

क्या वे वही व्यक्ति हैं जिनकी कहानी आमिर खान ने फिल्म ‘3 इडियट्स’ में चित्रित की थी? जवाब है, नहीं बिल्कुल नहीं।
फिल्म ‘3 इडियट्स’ और वास्तविकता : यह दावा किया जाता है कि फिल्म ‘3 इडियट्स’ का मुख्य किरदार वांगचुक पर आधारित है, जबकि फिल्म चेतन भगत के उपन्यास ‘फाइव पॉइंट समवन’ पर बनी है। मीडिया की एक धारा ने जानबूझकर इस कड़ी को जोड़ा।
सोनम वांगचुक का जन्म 1966 में लद्दाख में एक राजनीतक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, सोनम वांगयाल, जम्मू-कश्मीर सरकार में एक कांग्रेस नेता और मंत्री रहे चुके हैं। मीडिया में चित्रित उनकी साधारण पृष्ठभूमि के विपरीत, वांगचुक का बचपन राजनीतिक संपर्कों और संसाधनों के बीच बीता।
1988 में, वांगचुक ने SECMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के युवाओं के लिए वैकल्पिक शैक्षिक अवसर प्रदान करना था। 1995 में, उन्होंने लद्दाख में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए ‘ऑपरेशन न्यू होप’ शुरू किया।

जून 1993 से 2005 तक, वांगचुक ने लद्दाख की एकमात्र प्रिंट पत्रिका ‘लद्दाख्स मेलोंग’ के संस्थापक और संपादक के रूप में भी काम किया, जो लद्दाख के मुद्दों की एक आवाज़ थी। लेकिन यह उनकी शुरुआत भर थी। आने वाले वर्षों में, उन्होंने सतत विकास के क्षेत्र में काम किया, जो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक आवरण बन गया।

विदेशी फंडिंग पर उठे सवाल
Who Is Sonam Wangchuk उनकी शुरुआती परियोजनाओं को विदेशी संगठनों से भारी मात्रा में धन मिला, जिनमें फोर्ड फाउंडेशन, टाटा ट्रस्ट, डैन चर्च एड और करुणा ट्रस्ट शामिल हैं। इस तरह के विदेशी समर्थन के उद्देश्यों पर अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं, खासकर डैन चर्च एड के संबंध में, जिसका जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और USAID से संबंध बताया जाता है। डैन चर्च एड के ज़रिए मिलने वाली फंडिंग काफी संदेहास्पद मानी जाती है। यह डेनिश एनजीओ दावा करता है कि वह गरीबों की मदद करता है।

डैन चर्च एड और विदेशी फंडिंग का मामला
डैन चर्च एड, जो एक डेनिश एनजीओ है, पर जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और USAID से फंडिंग लेने के आरोप लगते रहे हैं। 2023 में, कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि केवल FCRA पंजीकरण होने से कोई एनजीओ स्वचालित रूप से विदेशी फंड नहीं ले सकता, खासकर तब जब गृह मंत्रालय (MHA) ने ‘प्रायर रेफरेंस’ श्रेणी में रखा हो। यह मामला बेंगलुरु के एक एनजीओ की डैन चर्च एड से प्राप्त 29.12 लाख रुपये की राशि को बैंक द्वारा फ्रीज करने का था, जिसे कोर्ट ने बरकरार रखा था।
👉 Sonam Wangchuk terms Dan Church Aid, a ‘reputed organisation’
👉 Dan Church Aid is funded by George Soros
👉 Alleges MHA leaking his NGO’s details@Yashfacts28 Educates Phunsukh Wangdu pic.twitter.com/bg3yiznALl— The Pamphlet (@Pamphlet_in) April 27, 2024
पत्नी रेबेका नॉर्मन और करियर में बदलाव
90 के दशक में वांगचुक की मुलाकात एक अमेरिकी महिला रेबेका नॉर्मन से हुई और दोनों ने 1996 में शादी कर ली। रेबेका ने अमेरिका के स्कूल फॉर इंटरनेशनल ट्रेनिंग (SIT) से पढ़ाई की है, जिसका अमेरिकी विदेश विभाग (State Department) से करीबी संबंध माना जाता है। SIT को फोर्ड फाउंडेशन, जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन जैसे संगठनों से फंड मिलता है। रेबेका को बाइडन की समर्थक और ट्रंप की आलोचक माना जाता है।

शादी के बाद वांगचुक को विदेशी संगठनों का भारी समर्थन मिलना शुरू हुआ। 2002 में उन्हें अशोका फेलोशिप मिली, जिसे स्कोल फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे संस्थान फंड करते हैं।


कांग्रेस सरकार से संरक्षण
2004 में कांग्रेस की डॉ. मनमोहन सिंह सरकार बनने के बाद वांगचुक के करियर को बड़ा प्रोत्साहन मिला। उन्हें 2004 में लद्दाख हिल काउंसिल के विजन डॉक्यूमेंट की ड्राफ्टिंग कमेटी में नियुक्त किया गया और 2005 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय प्रारंभिक शिक्षा परिषद का सदस्य बनाया गया। 2007 से 2010 तक उन्होंने एक डेनिश एनजीओ के लिए शिक्षा सलाहकार के रूप में काम किया।
पुरस्कार और संदेहास्पद संबंध
2016 से 2018 के बीच वांगचुक को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले, जिनमें मैग्सेसे पुरस्कार भी शामिल है। इन पुरस्कारों को देने वाली संस्थाएं (जैसे रॉकफेलर ब्रदर्स फंड, फोर्ड फाउंडेशन) पर सीआईए से संबंध होने के आरोप लगते रहे हैं। माना जाता है कि सीआईए फोर्ड फाउंडेशन के जरिए दूसरे देशों की राजनीति को प्रभावित करती है। 2020 में वांगचुक की बांग्लादेश के मुहम्मद युनुस (जिन पर सीआईए एसेट होने के आरोप हैं) से ढाका में ब्रिटिश हाई कमीशन में मुलाकात हुई थी।
HIAL प्रोजेक्ट की विफलता और गीतांजलि
Who Is Sonam Wangchuk ; 2015 में वांगचुक ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की शुरुआत की। 2018 में लद्दाख प्रशासन ने इसके लिए 54 हेक्टेयर जमीन आवंटित की। शर्तें पूरी न होने, मान्यता न मिलने और 37 करोड़ रुपये का बकाया न जमा होने के कारण अगस्त 2025 में यह आवंटन रद्द कर दिया गया। संस्थान से एक भी मान्यता प्राप्त छात्र स्नातक नहीं हुआ। 2017 में गीतांजलि नामक एक महिला HIAL से जुड़ीं, जिन्हें अब सार्वजनिक रूप से उनकी पत्नी बताया जाता है।
पाकिस्तान संबंध और हिंदू देवताओं का अपमान
फरवरी 2025 में वांगचुक ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद में ‘ब्रीद पाकिस्तान’ सम्मेलन में भाग लिया, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया हाउस ‘डॉन’ की तारीफ की और भारतीय मीडिया से ऐसा करने की उम्मीद जताई। सुरक्षा एजेंसियाँ अब उनके पाकिस्तानी अधिकारियों से कथित बातचीत की जाँच कर रही हैं। एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के साथ उनके संपर्क का रिकॉर्ड मिलने का दावा किया जा रहा है।
मार्च 2024 में NDTV को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना करते हुए भगवान राम और देवी सीता के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की, जिसकी सोशल मीडिया पर व्यापक निंदा हुई।
छठी अनुसूची की मांग का असली मकसद?
Who Is Sonam Wangchuk : छठी अनुसूची लागू होने से केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख में किए जाने वाले किसी भी विकास कार्य, खासकर सीमा बुनियादी ढांचे और खनन परियोजनाओं के लिए, स्थानीय निकायों की मंजूरी जरूरी हो जाएगी। आरोप है कि यह मांग पर्यावरण के नाम पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र में विकास कार्यों में बाधा डालने और भारत को बाहरी खतरों के प्रति संवेदनशील बनाए रखने का एक हिस्सा है।
वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उनके खिलाफ चल रही जांच में पाकिस्तान लिंक सहित कई गंभीर आरोप शामिल हैं।
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